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सिटीजन रिपोर्टर : सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों बर्बाद … बंद पड़े फाउंटेन में पड़ा है बदबूदार पानी

मुंबई
दक्षिण मुंबई के ग्रांट रोड स्थित मेन सिग्नल के पास स्थित नाना शंकर शेठ चौक का अभी कुछ महीने पहले ही सौंदर्यीकरण किया गया था, लेकिन आज इस जगह की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। इससे प्रशासन की नाकामी साफ झलक रही है। एक बार इस जगह का सौंदर्यीकरण करने के बाद प्रशासन ने इस जगह पर दोबारा पलटकर देखना भी जरूरी नहीं समझा। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर राजेश बी. गुप्ता ने बताया कि सरकार के इस रवैये से रहिवासियों और राहगीरों में काफी रोष है। उन्होंने प्रशासन को जमकर लताड़ा भी है। लोगों का कहना है कि सरकार आम जनता की मेहनत और खून-पसीने की कमाई को यूं ही बर्बाद कर रही है, इससे अच्छा होता कि प्रशासन हमारे पैसे को आम आदमी के विकास कार्यों में लगाती। इस कदर पैसे की बर्बादी हमें कतई बर्दाश्त नहीं है। राजेश गुप्ता ने भी लोगों की इस बात का पूरा समर्थन किया। राजेश ने बताया कि नाना शंकर शेठ चौक के पास बंद पड़े फाउंटेन में काफी दिनों से पुराना पानी पड़ा है, जिससे अब बदबू आने लगी है। पानी का रंग काला पड़ गया है, जिसमें भारी मात्रा में मच्छर और कीड़े-मकोड़े पनप रहे हैं। फाउंटेन का न तो फव्वारा चलता है और न ही इसमें लगी लाइटें जलती हैं। यहां आस-पास लगी घास भी सूख रही है। लोगों ने इस सौंदर्यीकरण को खूब सराहा, लेकिन उनका कहना है कि अच्छा होता कि प्रशासन ने थोड़े रुपए खर्च करके इसकी देख-रेख का जिम्मा किसी को दे दिया होता तो शायद आज यह दिन देखने को नहीं मिलता।
कुछ ऐसा ही हाल ग्रांट रोड स्टेशन जाने के लिए बनी स्वचालित सीढ़ी का भी है, जो कई वर्षों से बंद पड़ी है। इस सीढ़ी से वरिष्ठ नागरिकों और पेशेंट्स को स्टेशन पर जाने के लिए काफी मदद मिलती थी। इस स्वचालित सीढ़ी के बंद होने के कारण लोगों को मजबूरन मेन रोड से जाना पड़ता है, जो काफी जोखिम भरा और त्रासदायक है। कई बार यहां के लोगों ने इस बंद पड़ी स्वचालित सीढ़ी के बारे में नगरसेवक और प्रशासन को अवगत करवाया, लेकिन यह थोड़े दिन चलने के बाद फिर से बंद पड़ जाती है। राजेश गुप्ता ने बताया कि कई बार इस बारे में अखबारों में भी खबरें प्रकाशित हुर्इं, लेकिन उसका कुछ खास असर नहीं दिखा। ‘चिराग तले अंधेरा’ कहावत इस पर बिल्कुल सटीक बैठती है। इसी एस्केलेटर की बगल में नाना चौक ‘ड’ विभाग बीएमसी कार्यालय भी है, लेकिन कोई अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं देता है। वैसे मुंबई में सभी स्काई वॉक, ब्रिज और एस्केलेटर की देख-रेख का जिम्मा सरकार ने स्थानीय प्रशासन को दिया है, इसके बावजूद यह समस्या धरी की धरी रह जाती है। कई वर्षों से बंद पड़ा है एस्केलेटर

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