मुख्यपृष्ठनए समाचारसिटीजन रिपोर्टर : बदहाल है बदलापुर का महाराष्ट्र कामगार कल्याण मंडल

सिटीजन रिपोर्टर : बदहाल है बदलापुर का महाराष्ट्र कामगार कल्याण मंडल

बदलापुर

वैसे तो महाराष्ट्र कामगार कल्याण मंडल के कई मुख्यालयों की हालत खराब है, उसमें विक्रोली मुख्यालय भी शामिल है। बदलापुर में भी महाराष्ट्र कामगार कल्याण मंडल केंद्र बनाया गया है। इस केंद्र के मार्फत कामगारों व उनके परिवार के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं शुरू की गई थीं। आज इस कामगार कल्याण केंद्र के कार्यालय के साथ ही योजनाओं की स्थिति खस्ता हाल है। विचारणीय बात यह है कि मुरबाड, डोंबिवली और बदलापुर के बीच बदलापुर (पूर्व) के गांधी चौक के समीप स्थित कामगार कल्याण केंद्र ही नहीं है, जिसके कारण कामगारों को योजना का लाभ लेने में दिक्कत हो रही है। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर अमिताभ पाटील ने कामगार कल्याण केंद्र की दयनीय दशा का बयान किया है।
अमिताभ पाटील ने बताया कि कामगारों तथा उनके परिवार के कल्याण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कामगार कल्याण मंडल का निर्माण कर सुविधा के अनुसार केंद्र बनाए हैं। आज स्थिति यह है कि केंद्र व काफी योजनाएं धीरे-धीरे बंद होती जा रही हैं। इतना ही नहीं, राज्य सरकार की अनदेखी के कारण केंद्र तक की हालत दयनीय हो गई है। बदलापुर केंद्र की हालत बदहाल हो गई है। शौचालय की खिड़की टूट गई है और दरवाजे सड़ गए हैं, केंद्र को सुधारने की जरूरत है। बदलापुर कामगार कल्याण केंद्र में बदलापुर, मुरबाड, अंबरनाथ, डोंबिवली तक के एमआईडीसी, होटल, एसटी बस, बिजली विभाग के अलावा नाका कामगार में काम करनेवाले कामगार और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के दायरे में आते हैं। बहुत सारी कल्याणकारी योजनाएं हैं, परंतु कामगारों को पता ही नहीं है।
कामगार कल्याण मंडल की हालत शिंदे सरकार की तरह दयनीय होती जा रही है। वैसे तो कामगार कल्याण केंद्र की दशा यह बयान कर रही है कि केंद्र की सेवा कुछ ठीक नहीं है। प्रशिक्षण के लिए सिलाई मशीन की कमी है। कामगारों के लिए तमाम तरह की योजनाएं तो हैं, परंतु उस योजना की जानकारी शायद ही किसी कामगार को है और शायद ही किसी कामगार ने उसका फायदा लिया हो? बदलापुर में करीबन तीन सौ कंपनियां हैं। काफी लोगों को योजना की जानकारी नहीं है। योजना का जिस तरह से कामगारों को लाभ मिलना चाहिए, वैसा उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मुरबाड, अंबरनाथ, बदलापुर की काफी कंपनियां इस योजना की सदस्य तक नहीं बनी हैं। यहां तक कि कंपनियां जब खुद ही सदस्य नहीं बनी हैं तो ऐसे में वे कामगारों को क्या लाभ दिलवा पाएंगी? कामगारों में इस बात को लेकर चर्चा छिड़ी है कि जब सरकार ही अपनी कुर्सी संभालने में लगी है तो वह कामगारों को क्या सुख-सुविधा दिलवा पाएगी?
योजना के नाम पर अपनी फोटो का पोस्टर चिपकाकर केवल सरकार अपना प्रचार कर रही है। जो सरकार खुद प्रचार की भूखी है वह कामगारों को क्या हक दिलवा पाएगी? बदलापुर के केंद्र की अनदेखी का नतीजा है कि इन दिनों विकराल गर्मी में कभी एकाध कामगार आया तो गर्मी से उसकी हालत खराब हो जाती है। बरसात में पानी का रिसाव होता है, जिसके कारण छोटे बच्चों व सिलाई का प्रशिक्षण लेनेवाली महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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