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नए अपीलीय प्राधिकारी के खिलाफ हो सकती है अवमानना की कार्रवाई! … हाई कोर्ट की चेतावनी

सामना संवाददाता / मुंबई
किसी भी मामले में निर्णय देते समय प्राधिकरण के अपीलीय अधिकारी को न्यायालय के आदेश का ध्यान रखते हुए निर्णय देने होंगे, अन्यथा कोर्ट की अवमानना मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। ऐसा आदेश हाई कोर्ट ने दिया है। न्यायाधीश नितिन जामदार और न्या. मिलिंद साठये की खंडपीठ ने ऐसे आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर अपीलीय प्राधिकारी कोई पैâसला लेते समय कोर्ट के पैâसले और कानूनी मामलों पर विचार नहीं करता है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। यदि स्कूल प्रबंधन और कर्मचारियों से संबंधित किसी मामले की अपील आती है तो उस पर व्यवस्थित सुनवाई हो, वादी- प्रतिवादी को अपनी बात रखने का मौका मिले। उसके बाद कारण के साथ निर्णय दिया जाए। प्राधिकरण अधिकारी निर्णय देते समय कोर्ट के निर्णय और अन्य कानूनी पहलुओं पर विचार करें। यदि प्राधिकरण अधिकारी कोर्ट के निर्णय और कानूनी पहलुओं को संज्ञान में लेकर निर्णय नहीं देते हैं तो उन पर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने सभी शिक्षण प्राधिकारियों को कोर्ट के आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला
शिक्षकों, शिक्षण संस्थानों के विभिन्न प्रस्ताव शिक्षा अधिकारी को सौंपे जाते हैं। शिक्षा अधिकारी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों से सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों के स्थानांतरण सहित अन्य प्रस्तावों पर निर्णय लेते हैं। इसके खिलाफ सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है इसी तरह की एक याचिका मानगांव तालुका एजुकेशन सोसाइटी और अन्य एडवोकेट द्वारा दायर की गई थी। एड विनोद सांगवीकर और नरेंद्र बांदिवडेकर के माध्यम से दायर की गई थी।

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