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कोरोना दे रहा टशन…दगा कर रही ‘महायुति’…मनपा शुरू नहीं कर रही ‘अपनी चिकित्सा’ योजना…गरीब मरीजों को झेलनी पड़ रही है आर्थिक मार

सामना संवाददाता / मुंबई

मानसून की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में पहले से ही कोरोना टशन दे रहा है। अमूमन हर रोज कोविड से मौतें हो रही हैं। इसी में अब मानसून के चलते संक्रामक रोगों के मरीजों की संख्या भी बढ़ने की संभावना है, लेकिन पिछले छह महीनों से मनपा की ‘अपनी चिकित्सा’ योजना के तहत मिलने वाली मुफ्त जांच सेवाएं बीते कई महीनों से बंद पड़ी हुई हैं, जिसे अब तक शुरू नहीं की गई है। इसका आर्थिक बोझ मुंबईकरों को उठाना पड़ रहा है। कुल मिलाकर खुद को गरीबों की हितैषी होने का ताल ठोकने वाली महायुति सरकार गरीब मुंबईकरों से ही दगा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर से बंद पड़ी इस सेवा के कारण बुखार, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के मरीजों को जांच के लिए उपनगर के अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। मनपा की ‘अपनी चिकित्सा’ योजना के तहत स्थानीय डिस्पेंसरी, मैटरनिटी होम्स आदि में मुफ्त जांच की सुविधा दी गई थी, लेकिन तय जांच संख्या और बजट खत्म होने के कारण यह योजना दिसंबर में ही रोक दी गई। यह अनुबंध चार वर्षों के लिए था, लेकिन केवल डेढ़ वर्ष में ही इसकी तय सीमा पूरी हो गई। इसके बाद २१ जनवरी को मनपा ने निविदा प्रक्रिया शुरू की। लेकिन मार्च में वह रद्द कर दी गई। १३ मार्च को दोबारा निविदा प्रक्रिया शुरू की गई, जिसे अब तीन महीने बीत चुके हैं। इसके बावजूद यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
इसको लेकर मरीज और डॉक्टर दोनों ही नाराजगी जता रहे हैं। संक्रामक बीमारियों के लिए प्रमुख केंद्र चिंचपोकली स्थित कस्तूरबा अस्पताल में भी ‘अपनी चिकित्सा’ के तहत होने वाली खून की जांच बंद है। इससे आम लोगों को निजी लैब्स पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जहां जांच के लिए ज्यादा शुल्क वसूला जा रहा है।
‘अपनी चिकित्सा’ कब शुरू होगी, स्पष्ट नहीं
मनपा के स्वास्थ्य विभाग के एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इस बार मानसून जल्दी शुरू हुआ है। इससे बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसे में कम-से-कम सीबीसी जैसी बेसिक जांचें तुरंत होना जरूरी हैं, लेकिन ‘अपनी चिकित्सा’ कब शुरू होगी इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

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