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विकास के नाम पर मीरा रोड में ५४ पेड़ों की कटाई! …पर्यावरण प्रेमियों में फैला आक्रोश

प्रेम यादव /भायंदर
मीरा रोड में प्रमोद महाजन कला भवन के निर्माण के लिए ५४ पेड़ों की कटाई का निर्णय मीरा-भायंदर महानगरपालिका ने लिया है। इस संबंध में ४ फरवरी को सार्वजनिक नोटिस जारी की गई, जिसके बाद पर्यावरण प्रेमियों व स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश फैल गया है।
मीरा रोड के आरक्षण क्रमांक ३०० पर यह आर्ट गैलरी बनाने का पैâसला किया गया है, जिसके लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। परियोजना का कार्यान्वयन मनपा प्रशासन द्वारा किया जा रहा है, लेकिन निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ५४ हरे-भरे पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया उद्यान विभाग द्वारा शुरू कर दी गई है।
मनपा अधिकारी का कहना है कि यदि इस निर्णय पर नागरिकों की कोई आपत्ति या सुझाव आता है तो सुनवाई प्रक्रिया के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन पहले से ही इस निर्णय को अमल में लाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है? यदि हां, तो यह सुनवाई केवल औपचारिकता मात्र होगी। मीरा रोड के अलावा, घोड़बंदर स्थित चेना गांव में भी २१ पेड़ों की कटाई की नोटिस जारी की गई है। यह इलाका संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटा हुआ है, जो मुंबई और ठाणे के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विकासक के हित में पैंतरेबाजी
दरअसल, मनपा यहां १८ मीटर चौड़ा सड़क मार्ग विकसित कर रही है। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सड़क निर्माण असल में एक विकासक द्वारा व्यावसायिक बंगले बनाने के लिए किया जा रहा है। प्रशासन इस निर्माण कार्य को प्राथमिकता दे रहा है, जिसके कारण २१ जंगली पेड़ों को बलि चढ़ाने का निर्णय लिया गया है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इस तरह के पैâसलों पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में मीरा-भायंदर को गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इस क्षेत्र में पहले से ही वायु प्रदूषण, जलभराव और हरित क्षेत्र की कमी है, जो इस तरह की नीतियों से और अधिक बढ़ेंगी। पर्यावरण प्रेमियों ने इस पैâसले का विरोध करते हुए प्रशासन से पेड़ों की कटाई रोकने की मांग की है।

स्थानीय लोगों ने जताई आपत्ति
यहां बादाम, पीपल, गुलमोहर, समुद्रफूल, आम और सप्तपर्णी जैसे महत्वपूर्ण वृक्ष हैं, जिनकी उम्र १० से १५ वर्ष बताई जा रही है। इन पेड़ों को काटने की खबर के बाद पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर प्राकृतिक संपदा को नष्ट किया जा रहा है, जो आने वाले समय में गंभीर पर्यावरणीय संकट पैदा कर सकता है।

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