सामना संवाददाता / मुंबई
महायुति सरकार के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के बीच मनमुटाव बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि तल्खी इस हद तक बढ़ गई है कि दोनों नेता एक-दूसरे के सरकारी कार्यक्रमों से भी दूरी बना रहे हैं। शिंदे गुट कोटे के मंत्री संजय शिरसाट के आरोपों के बाद अजीत पवार गुट में नाराजगी बढ़ गई है। शिरसाट ने हाल में ही बयान दिया कि वित्त मंत्रालय देख रहे अजीत पवार ने उनके सामाजिक न्याय मंत्रालय से ४१३ करोड़ रुपए बिना पूछे निकाल लिए।
शिंदे गुट और अजीत गुट के बीच तनातनी से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। एक ओर एकनाथ शिंदे अजीत गुट के मंत्रालयों की ओर से आयोजित कार्यक्रमों से बच रहे हैं तो अजीत पवार भी शिंदे गुट के आयोजनों में जाने से परहेज कर रहे हैं। बताया जाता है कि दोनों पार्टियों के बीच सुलगती आग में घी डालने का काम संजय शिरसाट के एक बयान ने किया। शिरसाट शिंदे कोटे से मंत्री हैं। उनके पास सामाजिक न्याय मंत्रालय है। उन्होंने अजीत पवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने बिना किसी सलाह या मंजूरी के उनके विभाग से ४१३ करोड़ रुपए निकाल लिए। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को शिंदे और फडणवीस के सामने उठाएंगे। उनका आरोप है कि अजीत पवार का वित्त विभाग पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए जिम्मेदार विभाग को कमजोर कर रहा है।
फंड को लेकर तनातनी
बताया जाता है कि शिंदे और अजीत पवार के बीच तनातनी लंबे समय से चली आ रही है। अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे के दौरान एकनाथ शिंदे ने भी अजीत पवार की शिकायत की थी। उन्होंने शिंदे गुट के कोटे वाले विभागों को कम राशि आवंटित करने का आरोप भी लगाया था। उन्होंने कहा था कि अजीत पवार शिंदे गुट के मंत्रियों और विधायकों के विकास कार्यों के लिए फंड जारी नहीं कर रहे हैं। अजीत पवार ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया था।