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घाती सरकार का भेदभाव! … मेडिकल कॉलेजों में दोहरी नीति …संविदा प्रोफेसर का बढ़ा मानधन

सरकारी प्रोफेसरों की स्थिति जस की तस
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा के चुनाव की घोषणा किसी समय भी हो सकती है। ऐसे में सभी दल अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। दूसरी तरफ गद्दार गुट के सहयोग से बनी घाती सरकार की किसी न किसी मुद्दे को लेकर जनता में जमकर किरकिरी हो रही है। हालांकि, अपनी छवि को सुधारने के लिए यह सरकार कई तरह के तरीकों को अपना रही है। इसके तहत सभी को खुश करने के लिए काफी समय से कई योजनाओं को लागू कर रही है। इसी बीच अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ठेके पर सेवा दे रहे प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों को खुश करने की कोशिश की गई है। इसके तहत प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों के मानधन में दोगुना वृद्धि की गई है। ऐसे में अब इनका वेतन एक लाख रुपए से अधिक होगा।
राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और डेंटल कॉलेजों में प्रोफेसरों के साथ ही एसोसिएट प्रोफेसरों के पद सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, इस्तीफा और इसी तरह के अन्य कारणों से खाली हो जाते हैं। दूसरी तरफ कई बार नियमित आधार पर रिक्तियों को भरने में देरी हो जाती है। इस कारण रोगी देखभाल और शैक्षिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इनसे जुडी सेवाएं बाधित हो जाती हैं। इसलिए प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों को ठेका के आधार पर अस्थाई रूप से नियुक्त किया जाता है, ताकि मरीजों और छात्रों पर कोई प्रभाव न पड़े। ठेका के आधार पर नियुक्त एसोसिएट प्रोफेसरों को ४०,००० रुपए प्रति माह और प्रोफेसरों को ५०,००० रुपए प्रति माह का भुगतान किया जाता है। हालांकि, कई सालों तक इनके वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी।

इस तरह बढ़ेगा मानधन का स्लैब
रेजिडेंट डॉक्टरों को एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों की तुलना में अधिक पारिश्रमिक मिल रहा था, जिसे बढ़ाए जाने की मांग लंबे समय से हो रही थी। इसलिए राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में ठेके पर कार्यरत प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के वेतन को दोगुना करने का निर्णय लिया गया है। इसके अनुसार, डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों का पारिश्रमिक ५० हजार रुपए से बढ़ाकर १ लाख २० हजार रुपए और एसोसिएट प्रोफेसरों का पारिश्रमिक ४० हजार रुपए से बढ़ाकर १ लाख १० हजार रुपए कर दिया गया है। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि ठेका के आधार पर शिक्षकों को कोई अन्य भत्ता नहीं मिलेगा।

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