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डोंबिवली बॉयलर ब्लास्ट मामला : गद्दारों की सरकार ने ली 13 बेगुनाहों की जान!

हादसे की होनी चाहिए जांच
अंबादास दानवे ने बोला हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
डोंबिवली एमआईडीसी के फेज-२ में अमुदान केमिकल कंपनी का बॉयलर फटने से गुरुवार को बड़ा हादसा हुआ। इस हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। इस भयानक हादसे के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने घटनास्थल का दौरा कर हालातों का जायजा लिया। इस बीच उन्होंने एम्स अस्पताल में घायलों से भी मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस हादसे और बेगुनाहों की मौत के लिए गद्दारों की सरकार जिम्मेदार है। साथ ही अंबादास दानवे ने मांग की है कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए और संबंधित सरकारी विभाग के अधिकारियों की भी जांच की जाए।
मीडिया से बात करते हुए अंबादास दानवे ने कहा कि औद्योगिक सुरक्षा से जुड़ा कोई सरकारी विभाग यहां कहीं नजर नहीं आता, जिसका अंदाजा यहां की स्थिति देखकर तुरंत हो जाता है। इस घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों में जहरीले रसायनों वाली कंपनियां चलाना एक बड़ा अपराध है। भले ही यहां दस ही कर्मचारी क्यों न हों। यह नियम है कि जहां रिएक्टर स्थित है वहां हर कर्मचारी के पास एक तकनीशियन आदमी होना चाहिए। लेकिन यहां ऐसा कोई शख्स नजर नहीं आता। रिएक्टर का संचालन या संभालना एक साधारण कर्मचारी द्वारा नहीं किया जा सकता है। उनसे ये उम्मीद करना गलत है। एक रिएक्टर में विस्फोट तब होता है, जब तापमान पर विभिन्न रसायनों की आवश्यक मात्रा में गड़बड़ी होती है। इसके लिए पूरी तरह से फैक्ट्री का प्रबंधन जिम्मेदार है। अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि औद्योगिक सुरक्षा विभाग भी इसकी अनदेखी कर रहा है।
क्या विस्फोट का
कर रहे थे इंतजार
अंबादास दानवे ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, ढाई साल पहले इस क्षेत्र में एक बैठक हुई थी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। उसमें पैâसला किया गया था कि जहरीले रसायनों से संबंधित कंपनियों को हटाया जाएगा। लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री ने इस मामले में आज तक एक भी कदम नहीं उठाया है। कल मुख्यमंत्री यहां आए और उन्होंने कहा कि हम इन कंपनियों को अंबरनाथ में स्थानांतरित कर देंगे। ऐसे में क्या वे विस्फोट होने और ११ बेगुनाहों के मरने का इंतजार कर रहे थे? इस इलाके में यह घटना पहली नहीं है, जहां तक मेरी जानकारी है, साल २०१६-१७ के बाद से यह पांचवीं-छठी दुर्घटना है। इसमें कई लोग मारे गए और इसके लिए उद्योग विभाग, प्रशासन और राज्य सरकार जिम्मेदार है। इस क्षेत्र में ऐसी करीब साढ़े चार सौ कंपनियां हैं। इनमें से पांच कंपनियां जहरीले रसायनों से संबंधित हैं।
बॉयलर को लेकर एक होनी चाहिए नीति
दानवे ने कहा कि पिछले साल नासिक में जिंदाल कंपनी में विस्फोट हुआ था। बोईसर एमआईडीसी में विस्फोट हुआ था। उसके बाद रायगड में ब्लास्ट हुआ, डोंबिवली में ब्लास्ट हुआ, छत्रपति संभाजीनगर में ब्लास्ट हुआ, नागपुर में भी ब्लास्ट हुआ। ये सभी विस्फोट अधिकतर रिएक्टर में हुए हैं। बॉयलर को लेकर एक नीति होनी चाहिए। इस तरह की मांग हमने बार-बार सदन और सदन के बाहर की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस दुर्घटना का मामला विधानमंडल के अधिवेशन में उठाएंगे।
सरकार पर संदेह
साल २०१६ में प्रोबेस कंपनी में हुए विस्फोट के बाद उद्धव ठाकरे ने इस क्षेत्र के सभी उद्यमियों की बैठक ली थी। संपूर्ण औद्योगिक बेल्ट को स्थानांतरित करना कठिन है। लेकिन ये तय हुआ कि जो पांच कंपनियां हैं, उन्हें यहां से शिफ्ट कर दिया जाए। दुर्भाग्य से हमारी सरकार चली गई। अब गद्दारों की सरकार आ गई है। इस सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि इस तरह हमें संदेह है कि सरकार केवल अनधिकृत उद्योग चलानेवाले उद्यमियों का ही समर्थन कर रही है।

… तो सरकार को इस्तीफा देकर हो जाना चाहिए मुक्त
डोंबिवली में एक केमिकल फैक्ट्री में हुए विस्फोट में ११ लोगों की मौत हो गई और ६० लोग घायल हो गए। डोंबिवली में इससे पहले इस तरह की हुई एक घटना के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार ने यहां चल रहे ऐसे कारखानों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन उसके बाद आई महाभ्रष्ट महायुति सरकार ने पैसे लेकर कारखानों को चालू रखा। नाना पटोले ने कहा कि लोगों की जान की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन खोके सरकार को गरीबों के जान की कोई कीमत और उनकी जान की परवाह नहीं है, तो शिंदे-भाजपा सरकार को इस्तीफा देकर मुक्त हो जाना चाहिए।

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