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ईडी सरकार आंगनवाड़ी सेविकाओं के आगे नतमस्तक!.. बकाया `१,६५० करोड़ देने को तैयार

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र में असंवैधानिक ईडी सरकार शुरुआत से ही आंगनवाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के साथ अन्याय करते आ रही है। ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी मांगों को लेकर कई बार हड़ताल का हथियार तक उठाना पड़ा। हालांकि उनका यह प्रयास रंग लाया और ईडी सरकार को घुटने टेकने पड़े। इसी क्रम में मई महीने का मानधन भी शिंदे सरकार ने रोक दिया था। ऐसे में आंगनबाड़ी सेविकाओं ने जमकर विरोध शुरू कर दिया। उनके विरोध को देखते हुए ईडी सरकार को फिर से नतमस्तक होना पड़ा है, साथ ही में शासनादेश जारी किया गया है। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि जल्द ही आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन वितरित कर दिए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ ने कुछ महीने पहले मिनी आंगनवाड़ी को बड़ी आंगनवाड़ी में बदलने, सेविकाओं को तुरंत मोबाइल फोन देने और मानधन वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल किया था। उनके हड़ताल से शिंदे सरकार की हालत पतली हो गई थी और उन्होंने कई मानधन वृद्धि समेत मांगों को मानते हुए प्रस्ताव मंत्रिमंडल में रखने की घोषणा की थी। इस बीच आंगनवाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का मई महीने का मानधन महिला व बाल विकास विभाग ने रोक दिया था। ऐसे में आंगनबाड़ी सेविकाओं के सामने आजीविका पर संकट पैदा हो गया था और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया था। इसकी भनक लगते ही फिर से ईडी सरकार नतमस्तक हो गई, साथ ही इसे लेकर शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
खातों में ट्रांसफर होगी रकम
राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि एकात्मिक बाल विकास सेवा योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से निधि नहीं मिली थी। था। ऐसे में आंगनवाड़ी सेविकाओं को मानधन भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा था। हालांकि, अब जबकि केंद्र सरकार से निधि मिल गई है। इस स्थिति में जल्द ही उनके खातों में १,६५० करोड़ रुपए मानधन की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।
१.१३ लाख हैं आंगनवाड़ी केंद्र
महाराष्ट्र में इस समय १.३ लाख आंगनवाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें २.२६ लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं कार्यरत हैं। इनके ऊपर शून्य से छह वर्ष के ५८ लाख बच्चों और लगभग १० लाख स्तनपान कराने वाली माताओं के साथ ही गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार प्रदान करने की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण कार्य की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर रहती है। इसके अलावा उन्हें तीन से छह साल के बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा प्रदान करने का काम भी करना पड़ता है।
चंदे से किराए का भुगतान कर रही आंगनवाड़ी सेविकाएं
बृजपाल सिंह ने कहा कि शिंदे राज्य सरकार के राज में आंगनवाड़ी केंद्रों के किराए की अदायगी उनके मालिकों को न किए जाने से मजबूरन आंगनवाड़ी सेविकाओं को अपने मानधन अथवा चंदा वसूल कर किराए का भुगतान करने को बाध्य होना पड़ रहा है।

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