मुख्यपृष्ठनए समाचारईडी सरकार का नया झोल...बिल्डरों की झोली में एसटी की जमीन!

ईडी सरकार का नया झोल…बिल्डरों की झोली में एसटी की जमीन!

-बेचकर भरेगी सरकारी खजाना

-कर्मचारियों को देगी तनख्वाह

-कर्मचारी संगठनों का विरोध

सामना संवाददाता / मुंबई

एसटी (राज्य परिवहन महामंडल) आर्थिक संकट से जूझ रहा है। राज्य की महायुति सरकार इस घाटे से उक्त महामंडल को उबारने में खुद को असफल पा रही है। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए महायुति सरकार अब एसटी महामंडल की जमीनों को बिल्डरों की झोली में देने का विचार बना चुकी है। इससे सरकार का खजाना भरा जाएगा और कर्मचारियों की तनख्वाह दी जाएगी।
एसटी के बस डिपो को बेचने की तैयारी!
एसटी महामंडल के पास शहरों में बस स्टैंड, डिपो परिसर जैसी कई जगहें हैं। अगर इन स्थानों का विकास किया जाए, तो एसटी के लिए आय के नए स्रोत उत्पन्न हो सकते हैं। एक बैठक में ऐसा दावा करते हुए परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि एसटी महामंडल की तमाम रिक्त जगहों का व्यावसायिक रूप में विकास संभव है। इसके लिए निजी कंपनियों के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पद्धति के तहत किया जाएगा।
इन जमीनों की महत्वता को देखते हुए कीमत अनुसार ‘अ’, ‘ब’, ‘क’ श्रेणियों में विभाजित कर ७२ पैकेज के रूप में विकास किया जाए। एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बरगे ने कहा कि उन्हें एसटी की जमीनों के विकास पर आपत्ति है। सारी जमीनें एकसाथ निजी कंपनियों को सौंपने का विचार ही गलत है। एसटी की जमीन बेचने की यह साजिश है। महाराष्ट्र एसटी कामगार संगठन ने मांग की है कि एसटी की ये जमीनें जो बहुत ही महत्वपूर्ण स्थानों पर हैं, इन्हें निजी बिल्डरों को देने के बजाय एसटी महामंडल को खुद ही इसका विकास करना चाहिए। उनका कहना है कि एसटी पर अभी कोई कर्ज नहीं है, इसलिए एसटी खुद विकास करे तो ठीक, अन्यथा बिल्डरों के लिए एसटी की जमीन देने में हमारा विरोध होगा।
बैठक में आया प्रस्ताव
सूत्रों का दावा है कि हाल ही में एसटी महामंडल की हुई बैठक में इस पर एक प्रस्ताव आया है कि महामंडल की जमीनों पर बिल्डरों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हालांकि, कर्मचारी संगठनों ने इसका विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठनों का कहना है कि एसटी महामंडल की जमीन कौड़ियों के भाव बेचने की सरकार ने तैयारी दर्शाई है।

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