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संपादकीय: काशी कलंकित हुई

भारतीय जनता पार्टी के पाखंड पर किसी को शोध कर ‘पीएचडी’ करनी चाहिए। वाराणसी, जिसका प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री मोदी करते हैं, वहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ‘वैंâपस’ में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार कांड हुआ। यह बलात्कार कांड दो महीने पहले हुआ, लेकिन इसमें शामिल अपराधियों को अब दो महीने बाद गिरफ्तार किया गया है और गिरफ्तारी हो गई तब भी उन नराधमों को कड़ी सजा मिलने की कोई ‘गारंटी’ नहीं है। क्योंकि बलात्कार कांड के तीनों आरोपी भाजपा की ‘आईटी सेल’ के प्रमुख पदाधिकारी हैं और उनका संघ शाखा में लगातार आना-जाना रहता है। चूंकि इन बलात्कारियों का नाता ‘संघ’ परिवार से था, इसलिए दो महीने तक मामले को दबाने की कोशिश की गई। तथाकथित हिंदू संस्कृति रक्षक और भक्षक पीड़ित लड़की और उसके परिवार पर दबाव बनाकर, लालच देकर मामले को रफा-दफा करने की योजना को अमली जामा पहनाने में सफल नहीं हो पाए। यह सोचकर कि इस बलात्कार कांड का असर चार राज्यों के चुनावों पर पड़ेगा, वे दो महीने तक मामले को खींचते रहे और अब मामला दर्ज कर लिया गया है व आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों के नाम कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और अभिषेक चौहान हैं। यदि आरोपियों में से एक भी अल्पसंख्यक समुदाय का होता और विशेष रूप से मुस्लिम होता तो भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही एक धार्मिक तूफान खड़ा कर दिया होता। अंजना ओम कश्यप, चित्रा त्रिपाठी, श्वेता सिंह, अर्नब, रूबिका लियाकत, अदिति त्यागी आदि न्यूज एंकरों ने अपने चैनलों की छोटी स्क्रीन पर कोर्ट का सेट लगाकर इन आरोपियों को फांसी पर लटका दिया होता। लेकिन बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में इतना बड़ा बलात्कार कांड होने के बाद भी ये ‘एंकर्स’ कोमा में चले गए हैं और इनके चैनलों पर इस मामले में चुप्पी छाई हुई है। क्योंकि पीड़िता हिंदू है और बलात्कार करने वाले भाजपा के पदाधिकारी हैं। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी, डॉ. जे पी नड्डा, स्मृति ईरानी जैसी मंडलियों के करीबी हैं, यह साबित करने वाली उन बलात्कारियों की तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं। इन संघ स्वयंसेवकों ने हिंदू विश्वविद्यालय में, काशी नगरी में, मोदी के प्रिय शहर वाराणसी में एक अबला की इज्जत की धज्जियां उड़ा दी और इसकी वजह से पूरी भारतीय जनता पार्टी की आवाज ही चली गई है। अगर यह मामला किसी गैर-भाजपा शासित राज्य में हुआ होता, तो भाजपा की बजरंगी सेनाएं वहां वूâच करतीं और उनके पीछे-पीछे गृह मंत्री अमित शाह भी वहां पहुंच जाते। लेकिन अब हर जगह सन्नाटा है। ये सन्नाटा बेशर्मी की पराकाष्ठा है। कुणाल पांडे, सक्षम पटेल, अभिषेक चौहान ये संघवीर वाराणसी भाजपा ‘आईटी सेल’ के संयोजक हैं। ये एक तरह से भाजपा की ‘गोबेल्स सेना’ है। यह गोबेल्स की सेना है, जो दो-दो रुपए के हिसाब से किसी के खिलाफ अपमानजनक संदेश भेजने का काम करती है और उसी कीचड़ से निकले इन तीनों ने वाराणसी में बलात्कार कांड को अंजाम दिया। यही लोग देश में नफरत, झूठ और धार्मिक मतभेद पैâलाने का काम करते हैं। राजनीति के प्रमुख नेताओं -चाहे वह राहुल गांधी हों, उद्धव ठाकरे हों, शरद पवार हों, लालू यादव हों – उनके खिलाफ बदनामी और अफवाहें पैâलाने का काम सड़ी हुई सोच के लोग करते हैं। हिंदुत्व को बदनाम करने का अपराध करने वाले यही लोग हैं और इन्हीं में के संघवीरों ने काशी नगरी में अधम कृत्य किया है। एक तरफ अयोध्या में हिंदुत्व के नगाड़े बजाए जा रहे हैं तो वहीं काशी नगरी में बलात्कार कांड को दबाने की कोशिश की जा रही है। अगर बलात्कारी दूसरे धर्म का होता तो योगी महाराज का बुलडोजर उसके घर-बार पर, पूरी बस्ती पर चल जाता और खुद को हिंदुओं का रक्षक बताते हुए भक्त उस बुलडोजर पर चढ़कर भाषण देते। लेकिन इतने बड़े दुर्याेधनी दुष्कर्म के बावजूद मानो भाजपा विपश्यना में बैठी हुई है। यही भारतीय जनता पार्टी का असली चाल-चरित्र है। प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर की महिलाओं को नंगा कर उनका शोषण करने वालों के बारे में कुछ नहीं कहा। महिला पहलवानों ने अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। प्रधानमंत्री मोदी के दरवाजे पर पद्मश्री, खेल रत्न पुरस्कार रखकर विरोध किया फिर भी मोदी चुप रहे। बिलकिस बानो बलात्कार मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया और उनकी विजय यात्रा निकाली गई। उस पर भी भाजपा ने कोई टिप्पणी नहीं की। भारतीय जनता पार्टी आए दिन संस्कृति और नैतिकता जैसे मुद्दों पर प्रवचन झाड़ती रहती है। लेकिन काशी बलात्कार कांड पर उसने मौन साध रखा है। क्योंकि नराधम हरे रंग की लुंगी वाले नहीं हैं, बल्कि सिर पर काली टोपी और कंधे पर भगवा गमछा लगाए भाजपा के अंधभक्तों का नेतृत्व करने वाले हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को कलंकित करने का काम भाजपा की इस भक्त मंडली ने किया है, इसका प्रायश्चित वैâसे करेंगे? काशी का महत्व पुण्य की प्राप्ति और पाप का प्रायश्चित करने के लिए है। यहां पर अंधभक्तों की टोली ने काशी को कलंकित कर दिया है। गंगा भी क्या करेगी? उनके पाप वैâसे धोएगी?

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