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संपादकीय : मोदी परिवार का गुब्बारा!

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को फिर एलान किया कि भारत उनका परिवार है। उन्होंने इसमें नया क्या कहा? ‘देश के १४० करोड़ लोग मेरा परिवार है’ यह मोदी का पसंदीदा टेप है। पिछले नौ-दस सालों में उन्होंने इसे उठते-बैठते बजाया है, जिसकी वजह से अब यह घिस गया है। देश की १४० करोड़ जनता भी इसे सुनकर थक चुकी है। लेकिन इस बात को समझ जाएं तो वे मोदी वैâसे हुए? इसलिए, ‘मेरा भारत, मेरा परिवार’ के आदर्श वाक्य को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। सोमवार को तेलंगाना में एक कार्यक्रम में उन्होंने फिर से यही बात कही। दरअसल, प्रधानमंत्री पूरे देश के गार्जियन होते हैं। मोदी से पहले के सभी प्रधानमंत्रियों ने भी इस देश के कुटुंबप्रमुख की तरह व्यवहार किया। इसलिए देश यही मेरा परिवार है ऐसा कहना, यानी हम कुछ बिल्कुल अलग कर रहे हैं, इस तरह समझने की कोई वजह नहीं है। वास्तव में वह आपका कर्तव्य होना चाहिए। जनता ने इसी विश्वास के साथ आपको लगातार दो बार चुना। लेकिन असली सवाल यह है कि आप इस विश्वास को कितना सही ठहराते हैं। देश अर्थात परिवार आदि तो केवल जबानी खर्च के लिए है। वास्तव में, आपका परिवार आपके व्यवसायी मित्र, आपके आस-पास के लोग हैं। सोशल मीडिया से आपकी जय जयकार करने वाली टोली आपका परिवार है। ‘मोदी-मोदी’ के नशे में तल्लीन, ‘भगतगण’ आपका परिवार है। लोकतंत्र में विरोधियों और आलोचकों को भी सत्ताधारी दल अपने परिवार का सदस्य मानता है। मोदी राज में ये तस्वीर कभी देखने को नहीं मिली। कांग्रेस पार्टी और उसके विचारों को लेकर राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। सत्ता की राजनीति में एक पार्टी द्वारा दूसरी पार्टी को राजनीतिक तौर पर हराना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। लेकिन मोदी पहले दिन से ही ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने देश की आजादी की लड़ाई, आजादी के बाद के विकास में भाजपा से कहीं ज्यादा योगदान दिया है, लेकिन मोदी और उनकी पार्टी पर कांग्रेसमुक्त भारत का जुनून सवार है। न केवल विपक्षी दलों, नेताओं और आलोचकों को बल्कि भाजपा वैâडर को भी, जो पार्टी के भीतर दावेदार हो सकते हैं, ‘मोदी परिवार’ के दायरे से बाहर रखा गया है या उन्हें परिवार छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। मोदी की तानाशाही के सामने झुकने वाले ही ‘मोदी का परिवार’ के सदस्य बन सकते हैं। भाजपा के वरिष्ठों को भी ‘मार्गदर्शक’ बनाकर परिधि से बाहर रखा गया। कोरोना जैसे भयानक समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक प्यारे कुटुंब प्रमुख की तरह महाराष्ट्र की जनता का ख्याल रखा। इसीलिए कोरोना काल के कुटुंब वत्सल उद्धव ठाकरे आज भी जनता के मन में बने हुए हैं। ‘मेरा देश, मेरा परिवार’ कहने वालों के मन में यही कसक थी और इसीलिए उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार को गिरा दिया। शिवसेना के गद्दारों को गोद में लिया गया और शिवसेना में फूट डाल दी गई। जब विपक्षी दलों को तोड़ने वाले आज देश को अपना परिवार कहते हैं तो धक्का लगता है। जिसे स्वागत माला में भी किसी दूसरे नेता का आना चुभता हो वे प्रधानमंत्री मोदी जब ‘मेरा देश मेरा परिवार’ की बात करते हैं तब हंसे या अपना सिर पीटे, यह सवाल उठ खड़ा होता है। विपक्षी दलों के भाई-भतीजावाद को जी भरकर कोसने वाले प्रधानमंत्री को दूसरे दलों के ‘भाई-भतीजावाद’ का अपने राजनीतिक हितों के लिए ‘भाजपा परिवार’ में आना चल जाता है, लेकिन दस साल के मोदी शासन के बाद भी कश्मीरी विस्थापित रह चुके पंडित इस परिवार के सदस्य नहीं बन पाए हैं। रक्तरंजित मणिपुर भी ‘मोदी का परिवार’ में नहीं आता। यही है मोदी के परिवार का असली रूप। ‘मेरा देश मेरा परिवार’ तो उस पर एक आवरण मात्र है। जिन १४० करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री मोदी अपना परिवार कहते हैं, उन्हें भी अब इस आवरण और अंदर के असली चेहरे का एहसास हो गया है। ‘मोदी परिवार’ मोदी द्वारा फुलाया गया गुब्बारा है और जनता ही कल इसे फोड़ने वाली है!

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