मुख्यपृष्ठसंपादकीयसंपादकीय : मोदी बने शांतिदूत!

संपादकीय : मोदी बने शांतिदूत!

अमदाबाद में एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें २४१ यात्रियों की मौत हो गई। देश शोक के सागर में डूब गया। देश में इतनी दुखद घटना घटने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी तुरंत साइप्रस जैसे देशों में गए और वहां के लोगों के साथ मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाई। प्रधानमंत्री साइप्रस के निकोसिया प्रांत गए। वहां के राष्ट्रपति ने मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मैकारियोस-३’ से सम्मानित किया। ऐसे वक्त में जब देश शोक में था, मोदी फिर से विदेश दौरे पर चले गए। गृह मंत्री अमित शाह २०२७ के चुनाव अभियान की तैयारियों का नारियल फोड़ने उत्तर प्रदेश पहुंचे। शाह ने लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री मोदी कनाडा में ‘जी-७’ की बैठक में भी गए, लेकिन साइप्रस में उनका बयान महत्वपूर्ण है। साइप्रस प्रवास के दौरान उन्होंने विश्व शांति का राग आलापा। खबर आई कि उन्होंने कहा, ‘युद्ध अच्छा नहीं है, यह युद्ध का समय नहीं है।’ मोदी की सोच में यह बदलाव आखिर कब हुआ? वे शांतिदूत वैâसे बने? पहलगाम हमले के बाद मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। पाकिस्तान को बर्बाद कर देंगे। पाकिस्तान को चार टुकड़ों में बांट देंगे। पाकिस्तान हाथ में कटोरा लिए एक भिखारी और कंगाल देश है, ऐसा मोदीभक्तों का कहना था। ऐसी तस्वीर बनाई गई कि मोदी वाकई युद्ध के मैदान में उतर गए हैं, लेकिन अब अचानक मोदी शांति के पुजारी बन गए हैं और मौन हो गए हैं। भाजपा को इसका श्रेय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को देना चाहिए। राष्ट्रपति ट्रंप ने मोदी की हवा ही निकाल दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे आतंकवाद के खिलाफ युद्ध को रोक दिया है। तब से मोदी ‘ओम शांति शांति’
मंत्र जाप
कर रहे हैं। युद्ध की जगह बुद्ध की भाषा बोलने लगे हैं। पहलगाम हमले को दो महीने हो रहे हैं, लेकिन मोदी-शाह सरकार अभी तक २६ महिलाओं के माथे का ‘सिंदूर’ पोंछनेवाले उन चार आतंकवादियों को नहीं खोज पाई है। जब तक इन चारों आतंकवादियों को पकड़कर दिल्ली के इंडिया गेट के सामने गोली नहीं मारी जाती, तब तक पहलगाम का बदला पूरा नहीं होगा। राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम किया और अब मोदी शांति का राग आलाप रहे हैं। भारतीय जनता को इसका क्या अर्थ लगाना चाहिए? अब एक और नई जानकारी सामने आई है। ‘एफएटीएफ’ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने कहा है कि ‘पहलगाम में आतंकवादी हमला वित्तीय सहायता के बिना संभव नहीं है। जल्द ही एक रिपोर्ट जारी की जाएगी, जिसमें सरकार प्रायोजित आतंकवाद के साथ-साथ आतंकवादियों के वित्तपोषण के मामलों का खुलासा किया जाएगा।’ ‘एफएटीएफ’ एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह दुनियाभर में आतंकवादियों के मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तपोषण पर नजर रखता है और इस बाबत कार्रवाई करने की कोशिश करता है। इसी ‘एफएटीएफ’ ने पहलगाम पर कहा, ‘इस तरह का आतंकवादी हमला बिना पैसे के असंभव है।’ अब इसमें ‘एफएटीएफ’ ने कौन-सा नया शोध किया है? एक छोटा लड़का भी कहेगा कि बिना पैसे के ऐसे हमले संभव नहीं हैं। कश्मीर का आतंकवाद पैसे से ही पोषित किया गया है। किसी पर हमला करने या मारने के लिए जो ‘सुपारी’ दी जाती है, उसके पीछे आर्थिक कारण होता है। भाजपा पैसों का इस्तेमाल कर वित्तपोषण कर जिस तरह से विधायकों और सांसदों को तोड़ती है, इसी तरह से
पैसों का इस्तेमाल कर
आतंकवादियों द्वारा लड़कों को हमला करने के लिए आगे किया जाता है, लेकिन इन सबके लिए जिम्मेदार यहां की मोदी सरकार है। मोदी सरकार की विफलता के कारण आतंकवादी भारतीय सीमा में घुसे, हमला किया और गायब हो गए। मोदी ने आतंकवादियों के वित्तपोषण को रोकने के लिए ‘नोटबंदी’ की कुल्हाड़ी चलाई। इसमें आम जनता पिस गई। आतंकवादियों की गतिविधियां बंद नहीं हुई हैं। अगर आतंकवादियों को वित्तपोषण मिल रहा है और इसके कारण हमले बढ़े हैं तो इसके लिए हमारा गृह मंत्रालय जिम्मेदार है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा विरोधियों पर कार्रवाई हुई, लेकिन आतंकी खुलेआम घूम रहे हैं। ‘एफएटीएफ’ के लिए यह भी जांच का विषय होना चाहिए। भारत में आतंकवादी हमलों, दुर्घटनाओं, मौतों का राजनीतिकरण किया जाता है। उरी, पठानकोट, पुलवामा और पहलगाम के आतंकवादी हमले मोदी काल में हुए। भाजपा ने इन सभी हमलों का राजनीतिकरण करके वोट मांगे, लेकिन जो लोग शहीद हुए, उन्हें कभी वास्तविक न्याय नहीं मिला। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के पीछे भी एक भावनात्मक राजनीति है। साइप्रस में शांति का राग आलापने वाले प्रधानमंत्री मोदी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जिन लाडली बहनों के माथे से सिंदूर मिटा दिया गया, क्या उनका बदला पूरा हो गया है। भाजपा ने कश्मीर में राजनीतिक गड़बड़ी की है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को नुकसान पहुंचाया है। मोदी को साइप्रस देश का सर्वोच्च पुरस्कार मिला है। जब वह इसे गले में लटका कर भारत लौटेंगे तो उन्हें २६ लाडली बहनों के माथे से मिटाया गया सिंदूर याद रखना होगा। सिंदूर की रक्षा के लिए जिन्होंने युद्धक विमान उड़ाए वे मोदी अब शांति के कबूतर उड़ा रहे हैं!

अन्य समाचार