पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के वीरतापूर्ण प्रदर्शन का राजनीतिक लाभ उठानेवाली भारतीय जनता पार्टी का घिनौना चेहरा चार दिन में दो बार सामने आया। दो दिन पहले उन्होंने ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली और नौटंकी कर बेशर्मी के साथ अपने फायदे के लिए मुर्दों को भी नहीं बख्शा। इसके बाद मध्य प्रदेश के भाजपा मंत्री कुंवर विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी देनेवाली कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में बेहद निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग किया। देश-दुनिया को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के डेली बुलेटिन के जरिये कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम का पता चला। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिसरी एक प्रशंसित चेहरा बन गए थे। देशवासियों के दिलों में इन सभी के प्रति सम्मान की भावना पैदा हो गई थी, लेकिन मध्य प्रदेश के भाजपा मंत्री विजय शाह ने एक रैली को संबोधित करते हुए इन्हीं कर्नल सोफिया कुरैशी को ‘आतंकवादियों की बहन’ जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित करने का दुस्साहस किया। जब शाह के खिलाफ आलोचना हुई तो उन्होंने हमेशा की तरह अपना बचाव करने की कोशिश की, लेकिन तब भी उनकी भावना ‘गिरे तो भी ऊपर’ वाली थी।’ किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं।’ इस तरह के
उल्टे शब्दों में
इस मंत्री महोदय ने खुद की गई गंदगी को साफ करने का दिखावा किया। इसका मतलब यह है कि सीधे तौर पर माफी मांगने और गलती स्वीकार करने का कोई इरादा नहीं था। खैर, इस सज्जन को इस बयान के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फटकार भी लगाई। उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को चार घंटे के भीतर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। इतना कुछ होने के बाद भी ये सज्जन सीधे रास्ते में आ जाते, लेकिन वे नहीं आए। ये बेशर्म मंत्री हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां भी उन्हें अपेक्षित फटकार ही मिली। ‘संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए। आप किस तरह का बयान दे रहे हैं? इन शब्दों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री शाह को तार-तार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय की यह कड़ी फटकार शाह और उनकी पार्टी की इज्जत का सरे आम जनाजा है। खैर, इतना सब होने के बावजूद न तो खुद विजय शाह कुछ बोल रहे हैं, न ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और न ही मोदी सरकार, जिसने कर्नल सोफिया कुरैशी को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। यदि विपक्षी सरकार के किसी मंत्री ने ऐसा बयान दिया होता तो भाजपा समर्थक, जो स्वयं को नैतिकता का स्वयंभू ठेकेदार मानते हैं, सड़कों पर उतर आते और स्यापा करते। सोशल मीडिया के उनके
अंधभक्तों की फौज ने हंगामा
बरपा दिया होता, लेकिन अब भाजपा के मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी देशभक्त सैन्य अधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है इसलिए दिल्ली से लेकर गल्ली तक भाजपाई चुप्पी साधे बैठे हैं। न तो मंत्री स्वयं बिना शर्त माफी मांग रहे हैं, न ही उनकी पार्टी उन्हें ऐसा करने का आदेश दे रही है और न ही उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया जा रहा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मंत्री शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भी छेड़छाड़ करने की कोशिश की जा रही है। उच्च न्यायालय ने स्वयं इस पर असंतोष व्यक्त किया है और निर्देश दिया है कि एफआईआर में सुधार किया जाए। कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में मंत्री विजय शाह का अभद्र बयान उनकी घृणित मानसिकता को दर्शाता है। उठते-बैठते नैतिकता का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा का असली चेहरा सामने आ रहा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के ‘तमाचे’ के बावजूद मंत्री शाह और उनकी पार्टी अभी भी अपनी बेमुरव्वत का परिचय दे रही है। कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ धर्मांध अपशब्द का प्रयोग करना पूरी भारतीय सेना का अपमान है। इस तरह अपमान करनेवाले लोग तिरंगा यात्रा का ढोंग करते हैं। कर्नल सोफिया के खिलाफ विष वमन करनेवाले विजय शाह को मंत्री पद और भाजपा से निष्कासित किया जाना चाहिए!