निष्पक्ष चुनाव को लेकर मौजूदा फडणवीस सरकार की ‘रिपोर्ट’ अच्छी नहीं है। पिछले कई सालों से ये लोग किसी न किसी वजह से स्थानीय नगरपालिकाओं के चुनाव में देरी करते रहे हैं। नगरपालिकाओं और जिला परिषदों का काम प्रशासक के जरिए चलाते रहे। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा और आदेश देना पड़ा कि ये चुनाव चार महीने के अंदर करवाए जाएं। अब मंत्रालय की तरफ से राज्य की सभी नगरपालिकाओं की वार्ड संरचना को लेकर निर्देश दिए गए हैं। मुंबई के २२७ वार्डो में वार्डानुसार चुनाव होंगे। बाकी महानगरपालिकाओं में चार सदस्यीय वार्ड होंगे। वार्ड संरचना को लेकर निर्देश जारी होने के बाद से यह साफ हो गया है कि मुंबई समेत २९ महानगरपालिकाओं में अक्टूबर तक चुनाव करवाए जाएंगे। राज्य सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। लोकल सिविक बॉडीज के चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद हो रहे हैं। भाजपा और उसके लोगों ने विधानसभा चुनाव में किस प्रकार घोटाले किए हैं ये राहुल गांधी जनता के सामने ले आए हैं। उसके बाद से भाजपा की आवाज चली गई है। देवेंद्र फडणवीस ने एक लेख लिखकर बताया कि राहुल गांधी की आपत्तियां किस तरह झूठी हैं। किसी ने इसे पढ़ा नहीं, लेकिन राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव में वोट चोरी होने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। यह पूरे देश तक पहुंचा। कुल मिलाकर लोगों का भारत की चुनाव प्रणाली से भरोसा उठ गया है। लोगों की यह धारणा कि उनके द्वारा डाले गए वोट चोरी हो गए या गायब किए गए, का मतलब है कि
चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं
रहा। जिन लोगों पर जनता का लेशमात्र विश्वास नहीं है, वे चुनाव प्रणाली के मालिक बन बैठे हैं और उसी प्रणाली के कारण विधानसभा चुनाव के नतीजे चुराए गए। ये संदेह लोगों के मन में अभी भी है। फिर भी, स्थानीय निकाय चुनावों में दृढ़तापूर्वक भाग लेकर इन खोटे लोगों को पीछे धकेलना होगा। डर है कि सरकारी पार्टी के लोग वार्ड संरचना में मनमानी करेंगे। यह डर कि चुनाव आयोग के लोग और नगरपालिकाओं में उनके गुर्गे अपनी सुविधा के अनुसार वार्ड संरचना बनाएंगे और गड़बड़ी पैदा करेंगे। लोग मान कर चल रहे हैं कि ऐसी चालें खासकर मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर जैसी महानगरपालिकाओं में होंगी। वार्ड संरचना जनगणना और जनसंख्या के आधार पर होगी। औसत जनसंख्या निर्धारित करने के लिए कुल जनसंख्या को कुल सदस्य संख्या से भाग देकर उसे वार्ड की सदस्य संख्या से गुणा करने का सूत्र अपनाया जाएगा। सड़क, नदी, रेलवे लाइन जैसी प्राकृतिक सीमाओं को ध्यान में रखा जाएगा। वैसे तो कागजों पर नियम बना दिए गए हैं, जैसे कि कोई भी बिल्डिंग दो वार्डों में नहीं बंटेगी, लेकिन मौजूदा हुक्मरान नियम-कायदों का पालन नहीं करेंगे और चुनाव आयोग भी उनके अवैध कामों में भागीदार बन गया है। यह एक गंभीर मामला है कि शहरी विकास मंत्री जो ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अवैध तरीके से ३,००० करोड़ रुपए के टेंडर जारी करते हैं और इस तरह से
लाखों करोड़ों रुपए
इकट्ठा करके चुनाव मशीनरी खरीदते हैं, उनके हाथों में शहरी विकास विभाग और वैकल्पिक रूप से महानगरपालिकाओं की डोरी है। इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उन्होंने पैसे की ताकत से मुंबई और ठाणे के नगरसेवकों को खरीदा है। विधानसभा चुनाव में जो हुआ, उससे महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या हुई और शिवराया का यह राज्य कलंकित हुआ। राहुल गांधी ने ठीक यही कहकर लोगों को चेतावनी दी। अब मुंबई सहित २९ महानगरपालिकाओं, जिला परिषदों, नगरपालिकाओं, पंचायतों आदि के चुनाव होंगे। लोकतंत्र की दृष्टि से ये संस्थाएं महत्वपूर्ण हैं। मुंबई, पुणे, नासिक, ठाणे के लोगों की दुर्दशा पहली ही बारिश में सामने आ गई। पुणे के हिंजवडी जैसे इलाके तो सचमुच जलमग्न हो गए। महानगरपालिकाओं में प्रशासक शासन लादे जाने के चलते लोगों को ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार चाहे महाराष्ट्र की हो या दिल्ली की, ये मंडली नहीं चाहती कि चुनाव निष्पक्ष हों और जनता का शासन हो। इन लोगों ने चुनाव में देरी की है, ताकि मुंबई में मराठी लोगों के अधिकार और प्रभाव को सुरक्षित न रखा जा सके और अब अगर चुनाव हो भी गए तो उनकी योजना मराठी लोगों को यहां राजनीतिक मोहरा बनाने की है। ये लोग न सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र को सूरत-अहमदाबाद के ठेकेदारों के हाथों में सौंपने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि वे महाराष्ट्र के सभी नगरपालिकाओं में ईस्ट इंडिया कंपनी (सूरत) का शासन लाने की कोशिश कर रहे हैं। ईस्ट इंडिया कंपनी को हराने में ही महाराष्ट्र और मुंबईकरों का हित है।