प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने वीर सावरकर के ‘अखंड हिंदुस्थान’ के सपने को साकार करने का अवसर खो दिया है। अब भक्तों ने सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर फैला दी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान से बाकी कश्मीर की मांग की है। ‘हमारा लक्ष्य पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस पाना है। पहले ‘पीओके’ हमें सौंपें, तभी हम पाकिस्तान से बात कर सकते हैं।’ ऐसे शब्दों में मोदी ने हड़काया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने कब और किसे हड़काया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस हासिल कर भारतीय सेनाओं ने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि देने की तैयारी शुरू कर दी थी। अगर चार दिन और युद्ध होता तो भारत के कदम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर पड़ जाते, लेकिन अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप ने सत्यानाश कर दिया। भाजपा और शिंदे गुट के लोगों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने वीर सावरकर का विचार छोड़ दिया है। अब उन्हें अमेरिकी एंबेसी के सामने प्रेसिडेंट ट्रंप के पुतले जलाने चाहिए। कश्मीर से लेकर रामेश्वरम तक, सिंध से लेकर असम तक एक और अविभाज्य भारत की संकल्पना वीर सावरकर ने ही प्रतिपादित की थी। वीर सावरकर का स्वप्न स्पष्ट एवं पवित्र था। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी शिंदे मंडली वीर सावरकर के नाम का इस्तेमाल राजनीति के लिए कर रहे हैं। ‘कलम तोड़ बंदूक उठा’ स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर द्वारा दिया गया मंत्र था, लेकिन नकली सावरकर भक्तों ने अखंड भारत के लिए लड़ाई
लड़नेवाली सेना के
हाथ में मौजूद बंदूकों को ही म्यान में डलवा दी। अखंड हिंदू राष्ट्र कोई दान नहीं देगा। हमें लड़कर, युद्ध कर इसे हासिल करना होगा। हिंदू राष्ट्र हिंदुत्व का एक अंश है। ‘असिंधु सिंधु पर्यंता यस्य भारत भूमिका’ पर हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र का विश्वास करनेवाले वीर सावरकर ने कहा था।
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरिति स्मृत: ।।
सावरकर ने हिंदू की परिभाषा इस प्रकार दी कि जो कोई सिंधु से समुद्र तक पैâली भारत भूमि को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि मानता है वह हिंदू है। वीर सावरकर अखंड भारत के पुरोधा थे और प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, महाराष्ट्र के शिंदे जैसे लोग मानते हैं कि वे वीर सावरकर के अखंड विचारों के समर्थक हैं, लेकिन जब वह अखंड विचार रुप ले रहा था, तब इन सभी लोगों ने गड़बड़ी क्यों की? इसे एक रहस्य ही कहा जाना चाहिए। गोडसे समर्थकों का कहना है कि नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या इस गुस्से में की थी, क्योंकि गांधीजी ने विभाजन को मंजूरी दी थी जिसके चलते पाकिस्तान हमारी छाती पर मूंग दलने बैठ गया। बाद में गोडसे को फांसी दे दी गई, लेकिन उसकी अस्थियों को उसकी इच्छा के अनुसार विसर्जित नहीं किया गया। नाथूराम गोडसे की वसीयत में कहा गया है कि उनकी अस्थियों का विसर्जन तभी किया जाना चाहिए जब अखंड भारत हो जाए। मोदी काल में गोडसे के विचारों को मान्यता दी गई और गोडसे की जयंती और पुण्यतिथि भी मनाई जा रही है, लेकिन अगर अचानक युद्धविराम स्वीकार किए बिना चार दिन और युद्ध जारी रहता तो कश्मीर, लाहौर और कराची को भारत में मिलाया जा सकता था और गोडसे की अस्थियों को विसर्जित किया जा सकता था। यह एक पुण्य भी
मोदी भक्तों ने गवां दिया
है। मोदी और उनके लोग वीर सावरकर का स्वप्न भी पूरा नहीं कर सके और गोडसे की अस्थियां भी विसर्जित नहीं कर सके। हम सावरकर के सपनों का अखंड भारत साकार करेंगे यह घोषणा भी एक लफ्फाज बनकर रह गई। वीर सावरकर की संकल्पना का अखंड हिंदू राष्ट्र का भविष्य देश की आजादी की लड़ाई में खंडित होने के बाद भी सावरकर ने कहा था, ‘हे सिंधु, मैं तुम्हें नहीं भूलूंगा। या तो मैं पागल ठहराया जाऊंगा या भविष्यवादी ठहराया जाऊंगा।’ उनके इस स्मरणीय उद्गार से हम व्यथित हो गए हैं। इस समय हमें इस क्षण में वीर सावरकर के गहरे आदर्शवाद की छवि दिखाई देती है, जो आज के राजनीतिक कोलाहल, चुनावी नारों या व्यवसाय में समाने या दर्शाने योग्य नहीं है। युद्ध रोकने से पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर कब्जा तो कर लिया होता। गेलाबाजार बलूचिस्तान का टुकड़ा कर बदला लेना चाहिए था। भारतीय सेना ने युद्ध में अपने वीरों का बलिदान दिया, नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन हाथ क्या लगा? एक खबर थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की मांग की है। जो चीजें लड़कर प्राप्त की जाती हैं, वह मांग कर नहीं मिलतीं। प्रधानमंत्री मोदी ने तालियां बटोरने वाला डायलॉग मारा, ‘अगर पाकिस्तान दोबारा गोलीबारी करता है तो आपको ‘गोला’ यानी बम दागना चाहिए।’ आखिर पाकिस्तानियों को गोली चलाने के लिए जीवित क्यों छोड़ दिया गया? वीर सावरकर की आत्मा भी यही सवाल पूछ रही होगी। मोदी, शिंदे आदि ने वीर सावरकर के नाम पर राजनीति करने का अधिकार खो दिया है। सावरकर का अखंड हिंदू राष्ट्र का सपना इसी वक्त तक साकार हो चुका होता। मोदी और उनके लोगों ने वह अवसर गवां दिया है!