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संपादकीय :  क्रूर सरकार के शिकार!

देश में और महाराष्ट्र में एक के बाद एक ऐसी दुर्घटनाएं हो रही हैं। इससे खुद को ‘विकास पुरुष’, ‘जनता के तारनहार’ आदि कहनेवालों की हवा निकल गई है। दुर्घटनाएं हो रही हैं। उनमें लोग अपनी जान गवां रहे हैं, यह सरकार की निष्क्रियता है। महाराष्ट्र में तो बड़ी आपदा आई है। मावल तालुका के कुंडमाला में इंद्रायणी नदी पर बना एक लोहे का पुल ढह गया। कम से कम ३५-४० पर्यटकों के इसमें बह जाने की खबर धक्कादायक है। पुल पुराना था। उस पर पर्यटकों की भीड़ थी। अधिक भार के कारण यह ढह गया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसकी जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री का दुख, चिंता और जांच के आदेश दिखावा हैं। वे मगरमच्छ के आंसू हैं। मुख्यमंत्री के कोषाध्यक्ष गिरीश महाजन को मानो ऐसी दुर्घटनाओं का इंतजार रहता है। जब कोई दुर्घटना होती है तो वे तुरंत मृतकों और घायलों के परिवारों को ५-५ लाख रुपए की सहायता की घोषणा करते हैं। सरकारी लापरवाही के कारण जो जान जाती है, उस जान की कीमत गिरीश महाजन पांच-पांच लाख लगाते हैं। लेकिन जान क्यों जा रही है? जान किसकी वजह से जा रही है? इन सवालों का जवाब कौन देगा? इंद्रायणी नदी पर बना पुल पुराना हो चुका है। सरकार ने इसके नवनिर्माण के लिए आठ करोड़ रुपए मंजूर किए। ये आठ करोड़ रुपए कागजों में ही रह गए। चूंकि, सारा पैसा राजनीतिक लाभ वाली योजनाओं पर खर्च हो गया इसलिए राज्य सरकार ने
तिजोरी में ठनठन
गोपाल है।परिणामस्वरूप, इंद्रायणी नदी पर बने पुल की मरम्मत नहीं की गई और लोग बह गए। यह सदोष मानव वध का अपराध है। इस पुल दुर्घटना में लोगों की जान लेने वाली सरकार के मुख्यमंत्री श्री. फडणवीस हैं। पुणे के पालक मंत्री अजीत पवार हैं और मावल जहां यह भयानक दुर्घटना हुई, वहां के विधायक सुनील शेलके, अजीत पवार के खास हैं। विधायक को अपने गांव का जर्जर पुल नहीं दिखाई दिया, लेकिन उन्होंने खुद चुनाव जीतने के लिए सौ करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। पालक मंत्री के रूप में अजीत पवार पुणे के विकास पर ध्यान देते हैं, पर वास्तव में क्या करते हैं? बिल्डरों और जमींदारों का विकास होता है, लेकिन इंद्रायणी नदी पर बना जर्जर पुल गिर जाता है और लोग बह जाते हैं। गरीबों के ये काम विकास की परिभाषा में फिट नहीं बैठते। महाराष्ट्र दुर्घटनाओं और हादसों की मार झेल रहा है। अमदाबाद विमान दुर्घटना में महाराष्ट्र के १७ लोग मारे गए। केदारनाथ में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में अकोला का एक परिवार मारा गया। गोदावरी नदी में पांच युवक डूब गए। माथेरान में चार्लोट झील में तीन पर्यटक डूब गए। हर तरफ सिर्फ दुखद,
निराशाजनक खबरें
ही कानों में आ रही हैं। इसी समय राजकोट, मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के चबूतरे के नीचे की जमीन दरकने की खबर चिंताजनक है। पहले वहां पहली भव्य मूर्ति ढह गई और अब नई मूर्ति के नीचे की जमीन ढह गई है। यह लोक निर्माण विभाग की विफलता है। इधर, इंद्रायणी नदी पर बना पुल ढह गया और उधर, शिवाजी महाराज की मूर्ति के नीचे का निर्माण खराब हो गया तो वास्तव में इस पर खर्च किए गए करोड़ों रुपए गए कहां? यदि आप इसकी जांच नहीं करानेवाले हैं तो आपकी जांच और छानबीन की घोषणाएं व्यर्थ हैं। मुंबई की लोकल ट्रेन से गिरकर पांच यात्रियों की मौत, इसका दुख और सदमा राज्य को परेशान कर रहा है। इस राज्य में रेलवे, नदियां, सड़कें, हवाई परिवहन सभी असुरक्षित हो गए हैं। अमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद देश पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उस दुख की परवाह किए बिना, प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस जैसे देशों की यात्रा पर चले गए। विमान दुर्घटना में मरनेवालों की चिताएं बुझी नहीं हैं। परिवारों के आंसू नहीं रुके हैं और प्रधानमंत्री अमदाबाद आए और चले गए। महाराष्ट्र के शासकों के बारे में भी यही कहा जा सकता है। अनावश्यक परियोजनाओं पर पैसा बर्बाद करनेवाली सरकार इंद्रायणी नदी पर पुल नहीं बनाती, पल भर में पुल टूट जाता है और लोग जिंदा बह जाते हैं। मुख्यमंत्री अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और उनके कोषाध्यक्ष मृतकों के लिए पांच लाख के मुआवजे की घोषणा करते हैं। अब यही कहना होगा कि महाराष्ट्र पर निर्दयी इंसान शासन कर रहे हैं।

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