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बोइंग के कर्मचारी भी नहीं करना चाहते बोइंग में बोर्डिंग!..अमदाबाद क्रैश के बाद कंपनी से और उठा भरोसा

सामना संवाददाता / अमदाबाद

आजकल हवाई यात्रा सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन हाल के दिनों में बोइंग विमानों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। खासकर, बोइंग ७३७ मैक्स जैसे मॉडलों में तकनीकी खामियों की शिकायतें सामने आई हैं, जिसके कारण इसके अपने कर्मचारी भी इन विमानों में यात्रा करने से कतराते हैं। भारत में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने भी एयर इंडिया पर सख्त कार्रवाई की है, क्योंकि इसकी उड़ानों में सुरक्षा और अनुपालन में गंभीर चूक पाई गईं।
हाल ही में खबरें आई हैं कि बोइंग के कई कर्मचारी, जो इन विमानों के पुर्जे बनाते हैं वो खुद इनमें यात्रा करने से बचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन विमानों के फ्यूजलेज (विमान का मुख्य ढांचा) में गंभीर खामियां पाई गई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग ७३७ मैक्स ९ के फ्यूजलेज में दरारें और कमजोर जोड़ पाए गए, जो उड़ानों के बाद विमान को तोड़ सकते हैं। २०२४ में अलास्का एयरलाइंस के एक विमान में मिड-एयर फ्यूजलेज ब्लोआउट की घटना ने इस खतरे को उजागर किया, जिसमें सौभाग्य से कोई बड़ी हानि नहीं हुई। भारत में डीजीसीए ने एयर इंडिया की सुरक्षा और अनुपालन में लगातार चूक के लिए कई बार जुर्माना लगाया है, खासकर तब जब यह बोइंग विमानों का इस्तेमाल कर रही थी। १२ जून २०२५ को अमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया। इस हादसे में २४२ यात्रियों में से केवल एक, ३८ वर्षीय रमेश विश्वासकुमार जिन्होंने इमरजेंसी एग्जिट से निकलकर अपनी जान बचाई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो भविष्य में और हादसे हो सकते हैं।
बोइंग की समस्याएं केवल भारत तक सीमित नहीं हैं। अमेरिका में भी इसके खिलाफ मुकदमे और जांच चल रही है, खासकर फ्यूजलेज और डोर प्लग सिस्टम की खामियों को लेकर। भारत में डीजीसीए की सख्ती ने यह संदेश दिया है कि सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। एयर इंडिया को चाहिए कि वह अपने रखरखाव और पायलट ट्रेनिंग पर ध्यान दें, ताकि यात्रियों का भरोसा वापस जीता जा सके।

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