पापा

पापा ने अपनी खुशियां बेच दी,
हमें पढ़ाने में अपने जूते बेच दिए,
हमारी फीस चुकाने में
तपती धूप में दिन भर रिक्शा चलाया
हमारी भूख मिटाने में
अपनी इच्छा को त्याग कर दो-दो रुपए
बचाए, हमें पहनाने में
कितना भी कष्ट सहूं,पर कितना कुछ कर लूं
अपने बच्चे के खिलखिलाने में
पापा की अंगुली थामे, हम बाजार जाते
सब कुछ दिला दिया, हमारे मुस्कराने में
पापा का हाथ सर पे परमात्मा का हाथ है
जीवन की रंग-बिरंगी, खुशियों की सौगात है
पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
-वंदना मौर्या, इंदौर

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