मुख्यपृष्ठनए समाचारइस वर्ष बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा!

इस वर्ष बढ़ सकता है राजकोषीय घाटा!

केंद्र सरकार का बजट कभी फायदे में नहीं रहता। राजकोषीय घाटा रहता ही है। अब यह घाटा अगर कम नहीं हो सकता तो बढ़ना भी नहीं चाहिए। मगर फिलहाल जो हालत दिख रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि इस वर्ष बजट आकलन से जीडीपी ग्रोथ कम होगी, पर इससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।

जानकारों के अनुसार, अब अगर केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को १७.८७ लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य तक रख पाती है तो भी यह ६.०२ प्रतिशत होगा, जबकि बजट अनुमान ५.९२ प्रतिशत था। इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन बजट के आकलन से १.६ प्रतिशत कम नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि होगी। इससे केंद्र सरकार के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के ५.९ प्रतिशत के लक्ष्य में रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बजट में वर्ष २०२३-२४ के दौरान नॉमिनल जीडीपी १०.५ प्रतिशत से बढ़ने की उम्मीद जताई गई थी। हालांकि, इसके अग्रिम अनुमानों में ८.९ प्रतिशत होने की उम्मीद जताई गई है। इसका असर यह है कि अर्थव्यवस्था का आकार २९६.५८ लाख करोड़ रुपए होगा जबकि बजट में २०२३-२४ के दौरान ३०१.७५ लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान जताया गया था। इसका अर्थ यह होगा कि अग्रिम अनुमानों के अनुसार बजट अनुमान की तुलना में वर्ष २०२३-२४ की जीडीपी ५.१७ लाख करोड़ रुपए कम होगी। लिहाजा यदि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को १७.८७ लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य तक रख पाती है तो भी यह ६.०२ प्रतिशत होगा, जबकि बजट अनुमान ५.९२ प्रतिशत था। जीडीपी के ५.९ प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजकोषीय घाटा ३१,००० करोड़ रुपए कम करके १७.५६ लाख करोड़ रुपए करने की आवश्यकता है। सरकार नवंबर तक राजकोषीय घाटे को नियंत्रित कर ९.०६ लाख करोड़ रुपए पर रख पाई है और यह बजट अनुमान का ५०.७ प्रतिशत है। यदि राजकोषीय घाटे को १७.५६ लाख करोड़ रुपए में रखा जा सकता है तो नवंबर तक का आंकड़ा कुल बजटीय घाटे का ५१.६३ प्रतिशत है। हालांकि यह बीते साल के नवंबर तक के ५८.९ प्रतिशत से कम होगा।

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