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बच्चे को जन्म देनेवाली छिपकली की पांच नई प्रजातियों की खोज! …तेजस ठाकरे के ‘ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन’ की शोध

तमिलनाडु, गोवा और महाराष्ट्र में हुई रिसर्च
‘वर्टेब्रेट्स जूलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
सामना संवाददाता / मुंबई

‘ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन’ ने सांप की तरह दिखनेवाली छिपकलियों के नए कुल और पांच नई प्रजातियों की खोज की है। बच्चों को जन्म देनेवाली ये छिपकलियां हिंदुस्थानी प्रायद्वीप में पहली बार पाई गई हैं। इस शोध में ‘ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन’ के शोधकर्ता तेजस ठाकरे, ईशान अग्रवाल और अक्षय खांडेकर की सहभागिता रही है। जर्मन में प्रकाशित होनेवाले ‘वर्टेब्रेट्स जूलॉजी’ नामक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक जर्नल के माध्यम से इस शोध पर मुहर लग गई है।
नए खोजे गए कुल को ‘द्रविडोसेप्स’ नाम दिया गया है। ‘द्रविड’ संस्कृत और ‘सेप्स’ ग्रीक शब्द पर इसका नामकरण किया गया है। दक्षिण हिंदुस्थान में कबीलाई क्षेत्र के लिए ‘द्रविड’ और सांप जैसा रखने के लिए ‘सेप्स’ के जोड़ से कुल का नाम निश्चित किया गया है। अंडे की बजाय बच्चे पैदा करने, आंखों पर निचली पलक की पारदर्शिता होने और आनुवंशिक संग्रह की भिन्नता पर ‘द्रविडोसेप्स’ कुल को ‘सबडोल्युसेप्स’ प्रजाति से बिल्कुल भी अलग कर दिया है। खोजी गई पांचों नई प्रजातियां तमिलनाडु राज्य में हैं। ‘द्रविडोसेप्स जिंजीएन्सीस’, ‘द्रविडोसेप्स जवाधूएन्सीस’, ‘द्रविडोसेप्स कलक्कडएन्सीस’, ‘द्रविडोसेप्स श्रीविल्लीपुथुरेन्सीस’ और ‘द्रविडोसेप्स तामिलनाडुएन्सीस’ इस तरह पांचों प्रजातियों का नामकरण उनके मिलनेवाले क्षेत्रों पर किया गया है। ‘रायोपा गोवाएन्सिस’, ‘सबडोल्यूसेप्स पृदी’ और ‘सबडोल्यूसेप्स नीलगिरीएन्सिस’ इन तीन प्रजातियों के वर्गीकरण में स्थान बदलकर नए खोजे गए कुल में निश्चित किया गया है। नए कुल में शामिल की गई ‘द्रविडोसेप्स गोवाएन्सीस’ प्रजाति उत्तर गोवा में उत्सुम के साथ ही महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग (आंबोली) और कोल्हापुर जिले में दर्ज की गई है। कोल्हापुर जिले में वह राधानगरी, पंडिवेयर (भूदरगड), तलये (गगनबावड़ा) और वाशी (पन्हाला) से मिली है।
३३ स्थानों पर एकत्रित हुए ८९ नमूने
शोध में ३३ स्थानों से सांप जैसी दिखनेवाली छिपकलियों के ८९ नमूने एकत्रित किए गए हैं। तमिलनाडु, गोवा और महाराष्ट्र में पांच सालों से शुरू शोध अभियान के आखिरी में शोधकर्ताओं ने नए कुल और पांच नई प्रजातियों की खोज में सफलता हासिल की है। इस शोध में सांपों की शारीरिक विशेषताओं, जीन सेट, जहां ये मिले हैं, उसके भौगोलिक क्षेत्र और भौगोलिक इतिहास के साथ ही इस प्रजाति के विकास के समय का अध्ययन किया गया।

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