मुख्यपृष्ठनए समाचारपहली बार लद्दाख केंद्र शासित के तौर पर अपना प्रतिनिधि भेजेगा संसद...

पहली बार लद्दाख केंद्र शासित के तौर पर अपना प्रतिनिधि भेजेगा संसद में

सुरेश एस डुग्गर / जम्मू

लद्दाख लोकसभा सीट पर 20 मई को वोट डाले जाएंगे। अभी तक यह सीट जम्मू और कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों में से एक मानी जाती थी, पर अब पहली बार है कि लद्दाख  केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर अपने प्रतिनिधि को संसद में भेजेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में लद्दाख लोकसभा सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है। जामयांग सेरिंग नामग्याल की जगह ताशी ग्यालसन को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने त्सेरिंग नामग्याल को उम्मीदवार बनाया है। यही नहीं इस सीट पर कुछ स्थानीय दलों ने निर्दलीय मोहम्मद हनीफा को मैदान में उतारा है।
साल 2019 आम चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जामयांग सेरिंग नामग्याल ने निर्दलीय उम्मीदवार सज्जाद हुसैन को 10 हजार 930 वोटों से हराया था। भाजपा को 42 हजार 914 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार सज्जाद हुसैन को 31 हजार 984 वोट मिल थे। इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रिगजिन स्पालबार चौथे नंबर पर रहे और उनको 21 हजार 241 वोट मिले थे।
लद्दाख लोकसभा सीट दो करगिल और लेह में फैली हुई है। देश के सबसे ठंडे और क्षेत्रफल के लिहाज से देश में सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र लद्दाख है, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से यह देश के सबसे छोटे लोकसभा क्षेत्रों में से एक है। लद्दाख लोकसभा सीट में चार विधानसभा क्षेत्र कारगिल, जानस्कर, लेह और नोबरा आते हैं। दुनिया के अत्यंत दुर्गम रिहायशी इलाके लद्दाख में हैं। यहां करीब आधा दर्जन ऐसे स्थान हैं, जहां आज भी सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता है। चुनाव आयोग को कुछ केन्द्रों पर अपने मतदानकर्मियों को वायुमार्ग से भेजने की व्यवस्था करनी पड़ती है। कई मतदान केंद्रों पर 90 से भी कम मतदाता हैं।
लद्दाख लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1967 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस के कुशोक बकुला सांसद चुने गए थे। कांग्रेस ने लगातार 5 बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी। कुशोक बकुला ने साल 1971 आम चुनाव में जीत दर्ज की, लेकिन साल 1977 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पार्वती देवी सांसद चुनी गईं। साल 1980 आम चुनाव में फुंसोग नामग्याल ने जीत हासिल की। फुंसोग नामग्याल साल 1984 के आम चुनाव में भी सांसद चुने गए।
साल 1989 आम चुनाव में पहली बार ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिसली। निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हसन कमांडर ने जीत हासिल की, लेकिन साल 1996 आम चुनाव में कांग्रेस के फुंसोग नामग्याल सांसद चुने गए। साल 1998 चुनाव में जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय सम्मेलन के उम्मीदवार सैयद हुसैन और साल 1999 में हसन खान विजय हुए। साल 2004 आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थुपस्टन छेवांग और साल 2009 आम चुनाव में निर्दलीय हसन खान सांसद चुने गए। इस सीट पर पहली बार साल 2014 आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी। भाजपा के थुपस्टन छेवांग सांसद चुने गए, जबकि साल 2019 आम चुनाव में भाजपा के जामयांग सेरिंग नामग्याल ने जीत दर्ज की। 1991 में यहां चुनाव नहीं हुआ था।
लद्दाख क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। लद्दाख का क्षेत्रफल 1.74 लाख वर्ग किलोमीटर है। हिमालय की गोद में बसे इस क्षेत्र की सुंदरता देखते ही बनता है। यहां देश-दुनिया से पर्यटक घूमने आते हैं। इस लोकसभा सीट से साल 2014 में भाजपा के टिकट पर थुप्सटन छेवांग चुनाव जीते। यह पहली बार था, जब भाजपा का कोई उम्मीदवार लद्दाख लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुआ था।
2014 के चुनाव में भाजपा के थुप्सन चेवांग और निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम रजा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। थुप्सटन छेवांग ने गुलाम रजा को सिर्फ 36 वोटों से हराया था। छेवांग को 31,111 और गुलाम रजा को 31, 075 वोट मिले थे। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले थुप्सटन छेवांग ने 13 दिसंबर, 2018 को सदन और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले छेवांग 2004 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां से चुनाव जीते थे।

अन्य समाचार