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हिंदुस्थानियों की मदद नहीं कर रहा विदेश मंत्रालय! …म्यांमार में बंदी बनाए गए २० भारतीय गुलामों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर

सामना संवाददाता / नई दिल्ली 
नौकरी की उम्मीद लिए २० हिंदुस्थानियों को थाईलैंड ले जाया गया फिर उसके बाद म्यांमार, लेकिन अब वे म्यांमार में गुलामों जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। बताया जाता है कि इन लोगों को दुबई के एजेंट ने अपने झांसे में लिया था और इन सबको अब म्यांमार में बंदी बनाकर रखा गया है, जहां उनका हर दिन बुरी तरह शोषण किया जा रहा है। ये सभी लोग अपनी रिहाई की तलाश में विदेश मंत्रालय से मदद मांग रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। पीड़ितों के परिवार वालों ने भी इस बारे में विदेश मंत्री को एक लेटर लिखा है, जिसक अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
क्या है मामला?  
इन २० लोगों में से एक कुलदीप नाम का शख्स है, जिसके भाई राहुल कुमार ने बताया कि कुलदीप ने गुप्त रूप से एक छिपे हुए फोन से ये वीडियो रिकॉर्ड किया। उसने आगे बताया कि सभी लोग २२ अप्रैल को सहारनपुर से निकले थे फिर दिल्ली से बैंकॉक गए। वहां से उन्हें बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर माई सॉट हवाई अड्डे पर ले जाया गया। आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें म्यांमार के एक जंगल में ले जाया गया और तब से वह वहां गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे हैं। खबर के मुताबिक, कथित तौर पर इनमें से एक मजदूर ने दो वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उनकी म्यांमार में कितनी बदतर हालत हो चुकी है। वीडियो में यह सुना जा सकता है कि उनमें से एक व्यक्ति कहता है कि एक शख्स की मौत हो चुकी है और एक लड़की सिर की गंभीर चोटों से जूझ रही है,

वीडियो में क्या है?
जानकारी के मुताबिक, ८३ सेकंड के वीडियो में कुलदीप ने कहा कि हमारे परिवारों ने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया है, लेकिन हमारे वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए जाने के बावजूद अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। कुलदीप ने आगे कहा कि हमें दिन में १८ घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और केवल दो कटोरे चावल दिए जाते हैं। अगर हम ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो हमें पीटा जाता है और सजा के तौर पर हमें १० किलोमीटर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। हम विदेश मंत्रालय से हमें बचाने के लिए आग्रह करते हैं।

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