सामना संवाददाता / मुंबई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने राज्यसभा सांसद संजय राऊत की पुस्तक ‘नरकातील स्वर्ग’ के विमोचन समारोह में बोलते हुए जांच एजेंसियों के राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल और विपक्षियों पर कार्रवाई के लिए ईडी का इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। शरद पवार ने कहा कि संजय राऊत नियमित रूप से सामना अखबार में स्पष्ट रूप से अपनी राय रखते हैं। उनकी लेखनी कुछ लोगों को हजम नहीं हो पाई है। वे असहज होते हैं और इसीलिए उन्हें झूठे केस में फंसाकर जेल में डाला गया। वे मौके का इंतजार कर रहे थे। मौका देखकर उन्हें ईडी ने फर्जी मामले में फंसाया गया और जेल में डाला गया।
उन्होंने कहा कि पत्रावाला चाल में मेहनतकश मध्यमवर्गीय लोग रहते थे। उनके सामने निवास का संकट खड़ा हुआ था और वे चाहते थे कि उन्हें घर मिलें। उन्होंने यह मांग संजय राऊत के सामने रखी। राऊत ने उनकी मदद की, लेकिन संजय राऊत की लेखनी से आहत सरकारी एजेंसियों को इस मामले में हस्तक्षेप का मौका मिल गया। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में ईडी की भूमिका ज्यादा है। ईडी ने संजय राऊत को एक ऐसे मामले में फंसाया, जिसमें उनका कोई संबंध नहीं था। जहां अन्याय होता है, अत्याचार होता है, वहां सामना खड़ा रहता है। शासकीय तंत्र में जो भ्रष्टाचार है, उसके खिलाफ वे लगातार लिखते हैं, यह हम सभी जानते हैं।
शरद पवार ने कहा कि संजय राऊत ने यह पुस्तक इसलिए लिखी, ताकि हम लोगों को वहां की वास्तविक स्थिति का अंदाजा हो सके। इस स्थिति को ठीक करने का विचार हमें कभी न कभी करना ही पड़ेगा। जेल के अनुभव, वहां की मुलाकातें, ये सब जानने लायक बातें हैं।
पवार ने एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में कुछ लोग गलत कार्य कर रहे थे, यह जानते हुए भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। संजय राऊत ने एक सांसद के रूप में देश के प्रमुख नेताओं को पत्र लिखा। उन्होंने विस्तार से बताया कि कुछ लोग शासकीय तंत्र से भ्रष्ट तरीकों से वैâसे जुड़े हुए हैं और उनके माध्यम से पैसे वैâसे इकट्ठा किए जाते हैं। शरद पवार ने कहा कि इस मामले में ३०-३५ लोग और कंपनियां शामिल थीं, जिनसे लगभग ५८ करोड़ रुपए इकट्ठे किए गए। जिसे लेकर संजय राऊत ने शिकायत की, लेकिन उन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, पर संजय राऊत को जेल जाना पड़ा। उन्हीं घटनाओं पर आधारित यह पुस्तक लिखी गई है।
खडसे, देशमुख, भोसले को भी फंसाया
उन्होंने एकनाथ खडसे के बारे में कहा कि वे हमारे सहयोगी हैं। उनके दामाद इंग्लैंड में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में एक उच्च पद पर कार्यरत थे। खडसे पर शिकायत हुई और जैसे ही पता चला कि उन्हें परेशानी हो सकती है, उनके दामाद लंदन से यहां आ गए। उनके आते ही ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जबकि उनका कोई संबंध नहीं था। अनिल देशमुख पर एक सरकारी अधिकारी ने १०० करोड़ के भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, लेकिन केस एक करोड़ के भ्रष्टाचार का बना। शिकायत करनेवाले व्यक्ति पर राज्य सरकार ने पहले ही भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की थी। भोसले का भी जिक्र हुआ। ये सभी लोग परेशान हुए, लेकिन झुके नहीं।