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सरकार ने छीन ली रोजी-रोटी : ‘जवानों के गांव’ में टूटा अग्निवीर से भरोसा! …यूपी के ‘गमहर’ गांव के १५,००० ग्रामीण सशस्त्र बलों में सेवारत

योजना से नाराज गांव वाले अब दूसरे रोजगार की तलाश में
सामना संवाददाता / गाजीपुर
केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना ने देश के उन लाखों युवाओं का सपना तोड़ दिया है जो सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने के साथ ही रोजगार पाने की ख्वाहिश रखते हैं। पूर्वी यूपी के गाजीपुर में ऐसा ही एक गाव है गमहर, जिसे ‘जवानों का गांव’ कहा जाता है। इसकी वजह है कि इस गांव के करीब १५ हजार युवा देश की सेना व अन्य शसस्त्र बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मगर अब यहां के युवाओं का कहना है कि सरकार ने हमारी रोजी-रोटी छीन ली है। इन युवाओं को भरोसा अग्निवीर योजना ने पूरी तरह से तोड़ दिया है।
गहमर में थाने के बाहर एक सफेद रंग की पट्टिका पर लिखा है, ‘इस गांव से २२८ लोग १९१४-१९१९ के महान युद्ध में गए थे। इनमें से २१ ने अपनी जान दे दी।’ लेकिन अब, मोदी सरकार द्वारा अग्निपथ योजना लागू करने के लगभग दो साल बाद, यह गांव अपनी पहचान खोने के कगार पर है। यहां सरकार और भाजपा के खिलाफ व्यापक गुस्सा है। सेना में शामिल होने के इच्छुक २३ वर्षीय श्याम बाबू सिंह कहते हैं, ‘इस गांव से उसकी रोजी-रोटी छीन ली इस सरकार ने, मेरे जैसे कई लोग थे जो यहां सेना में शामिल होने के इच्छुक थे। लेकिन अब हम सभी रोजगार के लिए अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे थे। गांव के निवासियों के अनुसार, गहमर के लगभग १५,००० निवासी सशस्त्र बलों और पुलिस में सेवारत हैं और अन्य १२,००० सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। रोजगार का कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण, सिंह ने गांव के कामाख्या देवी मंदिर में नौ दिवसीय नवरात्रि मेले में प्रसाद का स्टॉल लगाया है। ‘अब कोई सेना में क्यों शामिल होना चाहेगा?’ करीब छह फीट लंबे सिंह ने तथ्यात्मक रूप से कहा, ‘अब जवान होने का कोई सम्मान नहीं रहा।’ २४-वर्षीय दिनेश चौधरी ने कहा, ‘एक अग्निवीर को सैनिक होने का कोई लाभ नहीं मिलता है, आपको चार साल के बाद कोई पेंशन नहीं मिलेगी। आपको वैंâटीन का लाभ नहीं मिलेगा और अगर आपके बच्चे सेना में भर्ती होना चाहें तो उन्हें स्थायी भर्ती की तरह कोई लाभ नहीं मिलेगा।’

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