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सरकार की उदासीनता, मृत हुए श्मशान भूमि! …सिर्फ कागजों पर हुआ विकास


– मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी

सामना संवाददाता / ठाणे
ठाणे मनपा सीमा में सरकार की उदासीनता की वजह से कई श्मशान भूमि मृतप्राय सा हो गए हैं। ठाणे में ४१ श्मशान भूमि है, जिनमें से कुछ ही श्मशान भूमि अच्छी स्थिति में हैं। ठाणे मनपा के माध्यम से ३२ श्मशान भूमि का एकीकृत विकास कार्यक्रम शुरू किया गया है। पिछले वर्ष जून माह में प्रस्ताव तैयार कर लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया था। राज्य सरकार ने ३० करोड़ का फंड स्वीकृत किया है, लेकिन फिर भी मोघरपाड़ा स्थित विद्युत शवगृह एक माह से बंद है। कलवा मनीषा नगर इलाके में श्मशान भूमि का काम छह साल बाद भी ५० फीसदी ही पूरा हो सका है। इससे साफ होता है कि श्मशान भूमि का विकास सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गया है।

इन श्मशानों में हैं कमियां
– ढोकली क्षेत्र में श्मशान भूमि केवल नाम के लिए है। कसारवडवली श्मशान घाट की हालत खस्ताहाल है। मानपाड़ा में श्मशान का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। डोंगरीपाड़ा, मोघरपाड़ा श्मशान घाट की भी हालत बहुत अच्छी नहीं है।
– ठाणे-पूर्व में कोपरी कब्रिस्तान की हालत खराब है और वहां राख, लकड़ी और अन्य सामग्री फेंकी जा रही हैं, जिससे अंतिम संस्कार के लिए आनेवाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
– कलवा श्मशान भूमि का काम पिछले छह सालों से चल रहा है। इसके लिए ६ करोड़ का फंड स्वीकृत किया गया, लेकिन आज भी ५० फीसदी काम बाकी है। कोपरी के श्मशान को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया। बालकुम ढोकली इलाके में दो श्मशान भूमि हैं। हालांकि, ढोकली श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी गई है। इस जगह के आस-पास बड़ी-बड़ी दुकानें होने के कारण शवों को लाने वालों को अन्य जगहों पर भेज दिया जाता है।
श्मशानों में हैं ये समस्याएं
कुछ श्मशानों में सुरक्षात्मक दीवार, पानी की सुविधा, पेंटिंग, मरम्मत कार्य, उस स्थान तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण, ओट का निर्माण, बैठने की व्यवस्था, बिजली की स्थापना और अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। जब श्मशान का निरीक्षण किया गया तो उस स्थान पर कोई सुविधा नजर नहीं आई। कसारवडवली श्मशान घाट की हालत खस्ता है। यहां पानी, लकड़ी व अन्य सुविधाओं का नामोनिशान तक नहीं है। इसलिए निवासियों को मोघरपाड़ा श्मशान जानाा पड़ता है। कुछ श्मशानों को छोड़कर बाकी जगहों पर कोई आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं। ज्यादातर जगहों पर दाह संस्कार के लिए लकड़ी के इस्तेमाल से प्रदूषण ही बढ़ता जा रहा है।

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