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भारत नगर के पुनर्विकास को हरी झंडी … सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज झुग्गीवासियों की अपील अस्वीकार

 

सामना संवाददाता / मुंबई
सुप्रीम कोर्ट ने २७ फरवरी २०२५ को भारत नगर, बांद्रा (पूर्व) के स्लम पुनर्विकास प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अपील करने वाले निवासी अयोग्य झुग्गीवासी हैं और केवल परियोजना में देरी कराने की कोशिश कर रहे थे।
म्हाडा पर क्या कहा कोर्ट ने?
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि यह जमीन महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएचएडीए) के तहत आती है और इसे स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) नहीं, बल्कि म्हाडा द्वारा विकसित किया जाना चाहिए। लेकिन २०१९ में शीर्ष शिकायत निवारण समिति (एजीआरसी) ने इसे खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि ये लोग सिर्फ बड़ी जगह पाने की कोशिश कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब स्लम पुनर्वास प्राधिकरण बिना किसी रुकावट के पुनर्विकास कार्य जारी रखेगा। यह फैसला झुग्गी पुनर्वास परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।

क्या है मामला?
भारत नगर स्लम में २,९६५ झुग्गियों का सर्वे किया गया था, जिसमें से २,६२५ को पात्र माना गया। बाकी लोगों को अपात्र घोषित किया गया है, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी २०२३ के मुंबई हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) द्वारा जारी बेदखली नोटिस को सही ठहराया गया था। कोर्ट ने कहा कि ७० फीसदी पात्र झुग्गीवासियों ने पुनर्विकास के पक्ष में सहमति दी है, जो नियमों के अनुसार अनिवार्य है।

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