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कोरोना काल की मौतों के मामले में गुजरात शीर्ष पर…महाराष्ट्र सबसे नीचे… पीएम का राज्य छुपाता रहा महामारी के आंकड़े!… गंदी राजनीति के तहत उद्धव ठाकरे की सरकार को किया गया बेवजह बदनाम… भाजपा के झूठ का हुआ पर्दाफाश

नीलम रामअवध / मुंबई

कोरोना काल में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार थी। इस सरकार ने काफी अच्छे तरीके से स्वास्थ्य चिकित्सा का प्रबंधन किया था। मगर केंद्र सरकार व भाजपाई लगातार इस सरकार को बदनाम करने के लिए मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाते रहे थे। अब खुद केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट ने भाजपा की कलई खोल दी है। इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि कोरोना से होनेवाली मौतों को छिपाने में पीएम का राज्य गुजरात सबसे आगे था, जबकि महाराष्ट्र ने पूरी ईमानदारी के साथ प्रबंधन किया और कोई भी तथ्य छिपाया नहीं गया।
बता दें कि केंद्र सरकार की इस नई रिपोर्ट ने देश को झकझोर कर रख दिया है। कोराना के दौरान वर्ष २०२१ में देश में कुल २५.८ लाख से अधिक मौतें दर्ज हुर्इं थीं। यह २०१९ के मुकाबले बेहद ज्यादा थीं।
गुजरात में कोरोना से २ लाख की गई जान!
जब जनसंख्या वृद्धि को भी ध्यान में रखा गया, तब भी यह संख्या लगभग १९.७ लाख ‘एक्स्ट्रा’ मौतें बताती हैं। ये आंकड़ा सरकारी कोरोना मौतों के आंकड़े (३.३ लाख) से ६ गुना ज्यादा है। गुजरात इस चौंकाने वाली गिनती में सबसे आगे है। वहां राज्य सरकार ने सिर्फ ५,८०९ कोविड मौतें दर्ज की थीं, वहीं सिविल रजिस्ट्रेशन डेटा के मुताबिक वास्तविक मौतें करीब २ लाख थीं। यह अंतर ३३ गुना है।
मध्य प्रदेश में यही अंतर १८ गुना, पश्चिम बंगाल में १५ गुना और बिहार, राजस्थान, झारखंड, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में १० गुना से ज्यादा पाया गया। लेकिन महाराष्ट्र में तस्वीर अलग है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में २०२१ में सरकार पर भले ही कोविड मिसमैनेजमेंट के कई राजनीतिक आरोप लगे, लेकिन आज डेटा साफ कहता है कि महाराष्ट्र ने सच्चाई को सबसे कम छिपाया। यहां कोविड से हुई मौतों और वास्तविक मौतों में अंतर सिर्फ १.८ गुना रहा, जो गुजरात जैसे राज्यों से बहुत कम है।

दूसरे स्थान पर कोविड से मौत
रिपोर्ट यह भी बताती है कि २०२१ में मेडिकल रूप से प्रमाणित मौतों में कोविड १७.३ फीसदी के साथ दूसरा सबसे बड़ा कारण था, जबकि २९.८ फीसदी के साथ पहले नंबर पर हृदय रोग रहा। यह तब है जब सिर्फ २३.४ फीसदी मौतें ही मेडिकल सर्टिफाइड थीं। यहां भी कोविड से हुई मौतों की संख्या (४.१ लाख), सरकार के बताए आंकड़े (३.३ लाख) से ज्यादा रही।

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