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हनीफनामा : शशि, संघर्ष और सफलता

हनीफ जवेरी

किस्मत के खेल भी बड़े अजीब निराले हैं। कभी-कभी किसी को बिना किसी पहचान के आसानी से काम मिल जाता है, जैसे अभिनेत्री पूनम ढिल्लों को मिला और वो स्टार बन गर्इं। लेकिन कई बार सब कुछ होते हुए भी इंसान को मौका नहीं मिलता और आम आदमी की तरह दर-दर की ठोकरें खाते हुए कठिन संघर्षों के बाद अपनी मंजिल पर पहुंचता है।
पृथ्वीराज कपूर जैसे महान अभिनेता के बेटे और राज कपूर के छोटे भाई शशि कपूर को भी जीवन में भारी संघर्षों का सामना करना पड़ा था। उन्हें किराए के मकान में रहना पड़ा और फिल्मों में जगह बनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। यह दिखाता है कि किस्मत और संघर्ष का रिश्ता हर किसी के लिए अलग होता है। राज कपूर ने अपने छोटे भाई शशि कपूर को बाल कलाकार के रूप में अपनी मशहूर फिल्म ‘आवारा’ में जगह दी थी। लेकिन जब शशि जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे और उन्हें एक मजबूत शुरुआत की दरकार थी, तब राज ने उनकी ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। अगर वो चाहते तो उन्हें आर.के. फिल्म्स के बैनर तले भव्य अंदाज में लॉन्च कर सकते थे। मगर शशि ने अपनी मेहनत और आत्मबल से ‘चार दीवारी’ जैसी फिल्म में काम पाया।
अब ‘चार दीवारी’ सेट पर ही थी कि हालात तब और उलझ गए जब शशि कपूर का दिल एक विदेशी युवती, जेनिफर के लिए धड़कने लगा। एक भारतीय पारिवारिक परिवेश में, खासकर कपूर खानदान जैसे परंपरावादी परिवार में यह प्रेम किसी तूफान से कम नहीं था। पूरे कपूर परिवार में कोई भी इस रिश्ते को स्वीकारने को तैयार नहीं था। काफी बहसों के बाद यह तय हुआ कि शशि अपनी प्रेमिका जेनिफर से शादी तो कर सकते हैं, लेकिन वह कपूर परिवार से अलग रहेंगे। शशि अलग रहने के लिए राजी हो गए और फिल्म ‘चार दीवारी’ के निर्माता की मदद से उन्होंने किराए पर एक फ्लैट ले लिया और उनकी शादी की तैयारियां शुरू हो गर्इं।
उधर पृथ्वीराज कपूर जयपुर में फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग कर रहे थे। निर्देशक के. आसिफ की अनुमति से वे एक दिन के लिए मुंबई आए, शादी में शामिल हुए और उसी शाम लौट गए। यह कपूर परिवार की पहली शादी थी, जिसमें कुछ खास रिश्तेदार और दोस्त ही शामिल हुए। शादी के बाद शशि और जेनिफर अपने नए घर में रहने लगे। शशि कपूर को शुरुआती दौर में काफी संघर्ष करना पड़ा। उनकी पहली फिल्म ‘चार दीवारी’ फ्लॉप रही और उसके बाद ‘बिरादरी’, ‘बेनेजीर’ और ‘द हाउसहोल्डर’ भी नहीं चलीं। हालत ऐसी थी कि शादी की पहली सालगिरह उन्होंने पत्नी को बृ्रजवासी की राइस प्लेट और दाल खिलाकर मनाई।
राज कपूर ने उस समय शशि को अपनी किसी फिल्म में नहीं लिया, लेकिन जब ‘वक्त’ और ‘जब जब फूल खिले’ हिट हुर्इं तो शशि की किस्मत बदल गई। ‘कन्यादान’ और ‘हसीना मान जाएगी’ जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया। अब उन्होंने कई फिल्में साइन की और नेपियन सी रोड पर एटलस अपार्टमेंट्स में फ्लैट ले लिया। राज कपूर ने पहले ‘सत्यं शिवं सुंदरम’ के लिए राजेश खन्ना को सोचा था, लेकिन जब वो फिल्म से बाहर हुए तो पहली बार शशि को आर.के. बैनर की फिल्म में हीरो लिया गया। जो सुपरहिट हुई, अब राज और शशि के बीच सब कुछ ठीक ही चल रहा था और शशि ने १५ दिनों की लगातार शूटिंग की तारीखें राज को पहले ही दे दी थीं। लेकिन बीच में आनेवाले रविवार को शूट करने से शशि ने इनकार कर दिया। रविवार का दिन शशि ने अपनी पत्नी और बच्चों के लिए रखा था। राज ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन शशि ने अपना नियम नहीं बदला और राज को अपने छोटे भाई के हिसाब से ही काम करना पड़ा।
शशि ने ‘जुनून’, ‘उत्सव’, ‘कलयुग’ जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया, लेकिन फिल्म ‘अजूबा’ बनाना उनके लिए महंगा साबित हुआ। ‘अजूबा’ की नाकामी ने शशि की किस्मत फिर से डगमगा दी। कर्ज में डूबे शशि पर फाइनेंसर नाथूमल थोरानी ने मुकदमा किया, जिस वजह से उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा। शशि वहीं लौट आए जहां से शुरू किया था। सेहत भी बिगड़ने लगी और ४ दिसंबर, २०१७ को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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