मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश  : अपने साथ भाइयों की जिंदगी भी संवारी

मेहनतकश  : अपने साथ भाइयों की जिंदगी भी संवारी

रवींद्र मिश्रा

जीवन में कुछ बनने या कुछ हासिल करने के लिए उस सपने को देखना जरूरी है। हम जो कुछ भी करना चाहते हैं या बनना चाहते हैं उसके लिए हमारी उम्र, शिक्षा या आर्थिक स्थति मायने नहीं रखता। आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए हमें अपनी मेहनत पर भरोसा रखकर अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर आगे बढ़ते हुए प्रयास करना चाहिए। उक्त विचार बिहार के नालंदा जिले स्थित अस्थावां बाजार के पास गोटिया गांव के रहनेवाले सुखदेव शर्मा के हैं। सुखदेव शर्मा कहते हैं कि हम बढ़ई-लोहार परिवार में पैदा हुए। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए गरीबी के चलते उनकी पढ़ाई भी पूरी न हो सकी और वे रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आ गए। दूर के एक रिश्तेदार के यहां शरण लेकर सुखदेव शर्मा काम की तलाश करने लगे। कारपेंटर परिवार का सदस्य होने के नाते सुखदेव शर्मा को काम मिलने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। मजदूरी में उन्होंने रंदा मारने का भी काम किया। तीन महीने काम करने के बाद धारावी स्थित नाईक नगर में एक झोपड़ा किराए पर लेकर सुखदेव शर्मा रहने लगे। पंजाबी ठेकेदार राम सिंह बढ़िया आदमी थे। तीन साल तक उनके यहां काम करने के बाद सुखदेव शर्मा ने किराए पर लिए गए झोपड़े को खरीद लिया। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने भाइयों को भी मुंबई बुला लिया। अब सभी भाई मिल-जुल कर काम करने लगे। थोड़े पैसे आने के बाद धारावी में ही एक कारखाना खरीद लिया। इस बीच उन्हें फाइन लाइन डिजाइनर के मालिक सुनील जसानी के यहां एक होटल का काम मिला। बहुत अच्छे आदमी होने के साथ ही सुनील जसानी सुखदेव शर्मा पर बहुत विश्वास करते हैं। सुनील जसानी के साथ २०१५ से वो काम कर रहे हैं। आज सुखदेव शर्मा सहित उनके सभी भाइयों के पास अपना खुद का फ्लैट है। गांव में जमीन खरीदने के साथ ही उन्होंने एक अच्छा मकान भी बनवा लिया है। अस्थावां बाजार में भी उन्होंने जगह खरीद ली है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर प्रतिवर्ष विश्वकर्मा पूजा का तीन दिवसीय आयोजन करते हैं, जहां उन्हें सभी का सहयोग मिलता है। इसी तरह सायन तालाब पर होनेवाली छठ पूजा में वे छठ व्रतियों की हरसंभव सेवा करते हैं। सुखदेव शर्मा कहते हैं कि मुंबई आने के पहले हमारे गांव के एक महतो ने कहा था कि मुंबई तो जा रहे हो लेकिन वहां कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। इस पर मैंने कहा कि मैं कुछ समझा नहीं। आप क्या कहना चाहते हैं। मेरी बात सुनकर उन्होंने कहा कि भाई वहां नींद हराम करनी पड़ती है क्योंकि वहां की लाइफ ही ऐसी है। वहां सब कुछ मिलेगा लेकिन भरपूर नींद नहीं।

 

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