मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : ८३ बसंत देखने के बाद आज भी हैं सक्रिय

मेहनतकश : ८३ बसंत देखने के बाद आज भी हैं सक्रिय

अशोक तिवारी

महाराष्ट्र के नासिक जिले के मुरलीधर भाऊसेठ काजले अपने जीवन के ८३ बसंत देख चुके हैं। वे ८३ वर्ष की उम्र में भी पूरी तरह से सक्रिय हैं और तकरीबन १२ से १५ घंटों तक काम करते हैं। उनका जीवन बहुत ही संघर्षमय परिस्थितियों में बीता इसलिए संघर्ष को आज भी अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हुए वे मेहनत करने से बिल्कुल भी नहीं कतराते। मुरलीधर के पिता महाराष्ट्र के नासिक जिले में रहते थे और वहीं छोटा-मोटा व्यापार कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। परिवार की माली हालत बहुत अच्छी न होने के बावजूद मुरलीधर के पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया। मुरलीधर बचपन से पढ़ने में बहुत होशियार थे और उन्होंने एम.ए. और एलएलबी तक शिक्षा प्राप्त की। वर्ष १९६८ में उनका चयन महाराष्ट्र के धर्मादाय आयुक्त कार्यालय में इंस्पेक्टर के पद पर हो गया। कालांतर में विवाहोपरांत मुरलीधर दो बेटों के पिता बने। उनका एक बेटा नासिक के एजुकेशन विभाग में कार्यरत था तो दूसरा ट्रस्ट कंसलटेंट है। महाराष्ट्र के कई शहरों में चैरिटी कमिश्नर के विभिन्न पदों पर काम करते हुए मुरलीधर अंतत: ३१ मई, २००० को मुंबई में असिस्टेंट चैरिटी कमिश्नर के पद से रिटायर हो गए। कड़ी मेहनत को अपना आदर्श माननेवाले मुरलीधर ने रिटायरमेंट के बाद भी आराम करने की बजाय मेहनत को ही अपना रास्ता बनाया। वर्तमान में वे धर्मदाय आयुक्त कार्यालय, मुंबई में बतौर वकील प्रैक्टिस कर रहे हैं। वे बताते हैं कि बचपन में उनका जीवन काफी संघर्ष और गरीबी में बीता था, जिसकी कसक उन्हें जीवनभर रही। उनका मानना है कि शिक्षा समाज के लिए सबसे मजबूत अस्त्र है। शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मानित होता है और गरीबी से लड़कर ही गरीबी से उबर सकता है। गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए हर भारतीय को प्रयास करना चाहिए, क्योंकि शिक्षा ही उन्हें समाज के ताकतवर लोगों से लोहा लेने की शक्ति देती है। वे आज भी समाज के वंचित और शोषित वर्ग के लोगों की खुलकर मदद करते हैं तथा उन्हें पूरी सहायता प्रदान करते हैं। काजले बताते हैं कि महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में अपनी नियुक्ति के दौरान गरीबी और गरीबों के जीवन को बहुत करीब से देखने के बाद वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि गरीबों के उन्मूलन के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों को मिलकर एक ठोस दिशा में एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, तभी देश से गरीबी को दूर किया जा सकता है। उनका सपना है कि देश का हर नागरिक शिक्षित हो और इसके लिए देश के हर समर्थ नागरिक को बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए।

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