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वाहनों की हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट शुल्क नहीं जजिया कर है! …अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में तीन गुना है टैक्स

वाहन मालिकों से लूट को रोकने की सीएम से प्रदेश कांग्रेस की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता को लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। जनता पहले से ही महंगाई से परेशान है। ऐसे में अब सरकार की नजर वाहन मालिकों की जेब पर है। वाहनों की हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट के नाम पर अत्यधिक शुल्क वसूला जा रहा है। अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में यह दर दोगुने से अधिक है। यह शुल्क नहीं, बल्कि जजिया कर है। इस तरह का आरोप लगाते हुए इस शुल्क को कम करने की मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकल ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि एक अप्रैल २०१९ से पहले पंजीकृत वाहनों के लिए हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अनिवार्य कर दी गई है। इस पहल का उद्देश्य अच्छा लग सकता है, लेकिन इसके बहाने राज्य के वाहन मालिकों की सीधे तौर पर लूट की जा रही है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा इन नंबर प्लेट्स के लिए वसूल किया जाने वाला शुल्क अन्य राज्यों की तुलना में दोगुना, तिगुना है। पड़ोसी गोवा राज्य में दोपहिया वाहनों के लिए १५५ रुपए वसूल किए जाते हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह दर ४५० रुपए है। तीन पहिया वाहनों के लिए गोवा में १५५ रुपए और महाराष्ट्र में ५०० रुपए, जबकि चार पहिया वाहनों के लिए गोवा में २०३ रुपए और महाराष्ट्र में ७४५ रुपए वसूल किए जाते हैं। इन नंबर प्लेट्स के लिए १८ फीसदी जीएसटी देना होगा, लेकिन यह बात आरटीओ द्वारा छुपाई गई है और यह बोझ वाहन मालिकों पर डाला गया है।
अधिक है जुर्माना
३१ मार्च के बाद यदि वाहन पर यह नंबर प्लेट नहीं लगी होगी तो ५ हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना राशि भी अत्यधिक है। किसी भी नए बदलाव को लागू करते समय जनता को अनावश्यक परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस पूरे मामले की जांच कर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह की मांग कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने इस पत्र में की है।

मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने मिलकर दी मंजूरी
सपकाल ने कहा कि नंबर प्लेट का ठेका भी मंत्रिमंडल स्थापना की जल्दबाजी में दिया गया है। मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने मिलकर इसे मंजूरी दी है। इसके लिए ठेकेदार को दिए गए लेटर ऑफ इंटेंट और वर्क ऑर्डर को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इन नंबर प्लेट्स के लिए वाहन मालिकों को दी गई समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। अन्य परेशान करने वाली शर्तों को हटाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये नंबर प्लेट्स आसानी से उपलब्ध हों।

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