मनमोहन सिंह
२०१४ की बात करें तो उस लोकसभा चुनाव में कुल मतदान प्रतिशत ६४.४५ फीसदी था। उस दौरान महिलाओं का मतदान प्रतिशत ६५.८५ रहा और पुरुषों का ६४.५५ फीसद।
चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश की अपनी अलग खासियत है। वह खासियत यह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मत प्रतिशत अधिक है। चुनाव में मतदान के आंकड़ों पर गौर करें तो यह बात सामने आती है कि मतदान के दिन हिमाचल की महिलाएं अनिवार्य रूप से मतदान केंद्र जाती है और मतदान करती हैं। शायद यही वजह है कि हर बार चुनाव में महिलाओं के मसले और वोट बैंक पर पार्टियां अपनी नजर तो बनाए रखती हैं लेकिन महिलाओं को टिकट देने के मामले में नजरें फेर लेने में वक्त नहीं लगाती।
२०१९ में लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत के आंकड़े बताते हैं कि कुल मतदान प्रतिशत से महिलाओं का मत प्रतिशत अधिक रहा था। उस दौरान कुल मतदान प्रतिशत ७२.४२ फीसदी रहा था और महिलाओं का मतदान प्रतिशत ७४.३४ फीसदी था। वहीं पुरुषों का मतदान प्रतिशत ७०.१९ फीसदी था। पिछले चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या कुल २६,०४,६१५ थी, जिसमें १९,३६,४०५ महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या २६,५७,४६४ थी, जिसमें १८,६५,३४५ मतदाताओं ने वोट डाला था।
महिलाओं की भागीदारी न के बराबर
हिमाचल में वर्ष २०१९ में हुए लोकसभा चुनाव में किसी भी बड़े दल ने महिला को टिकट नहीं दिया। उस दौरान कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से केवल निशा कटोच एक मात्र महिला उम्मीदवार ने इंडिपेंडेंट वैंâडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी जमानत जब्त हो गई थी। २०१४ के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के दो बड़े दलों में से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्म पत्नी प्रतिभा सिंह को मंडी से टिकट दिया था। इसके अलावा अन्य छोटे मोटे दलों की ओर से ४ महिलाओं को टिकट दिया था। इस तरह कुल मिलाकर पांच महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन इनमें से एक भी महिला उम्मीदवार सदन में नहीं पहुंची थी, यही नहीं प्रतिभा सिंह को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई थी।
हालांकि, २०२२ के विधानसभा चुनाव में कुल २४ महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं। कुल वैंâडीडेट्स की संख्या ३८८ थी। उस दौरान भाजपा ने ६ और कांग्रेस ने ३ महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था। इसके अलावा १५ महिला उम्मीदवार अन्य छोटे दलों या फिर इंडिपेंडेंट वैंâडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ी थी। हालांकि, सभी में से सिर्फ भाजपा के टिकट पर पच्छाद से चुनाव मैदान में उतरी रीना कश्यप एक मात्र महिला विधानसभा पहुंचने में सफल रही थीं। उनके अलावा भाजपा की श्याम शर्मा, रेणु चड्ढा और कांग्रेस की कृष्णा मोहनी भी कामयाब रहीं।
भले ही वोटिंग में महिलाओं की भागीदारी बढ़-चढ़कर रही हो लेकिन दिल्ली में संसद की दहलीज गिनी चुनी महिलाएं ही पार कर पाई हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र से वर्ष १९५२ में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर रानी अमृत कौर पहली महिला सांसद चुनी गई थीं। इसके बाद ६ बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्म पत्नी प्रतिभा सिंह दूसरी महिला सांसद बनीं। वे सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन के बाद साल २०२१ में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर वर्तमान में सांसद हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी से टिकट दिया है।
विधानसभा चुनाव में भी आगे रहीं महिलाएं
२०१४ के विधानसभा चुनाव में कुल महिला मतदाताओं की संख्या २३,२०,८२६ थी, जिसमें से १५,२८,४६५ महिलाओं ने वोटिंग की। वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या २४,२३,३७७ थी, जिसमें से १५,६४,४५८ ने मतदान किया था। २०२२ के विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं की भागीदारी अधिक रही थी। उस दौरान कुल मतदान प्रतिशत ७५.७८ फीसदी रहा था। वहीं महिलाओं का मतदान प्रतिशत ७६.७७ फीसदी था। विधानसभा चुनाव में कुल महिला वोटरों की संख्या २७,३७,८४५ थी, जिसमें २१,०१,६७४ महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। वहीं पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत ७०.७७ फीसदी था, जिसमें पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या २८,५४,९४५ थी, इसमें २०,२०,५०९ वोट डाले थे।