मुख्यपृष्ठग्लैमर‘मुझे कैसे और कहां से संतुष्टि मिलेगी!’-संजना सांघी

‘मुझे कैसे और कहां से संतुष्टि मिलेगी!’-संजना सांघी

बतौर बाल कलाकार फिल्म ‘रॉक स्टार’ से फिल्मों में कदम रखनेवाली संजना सांघी ने अभिनय की शुरुआत सुशांत सिंह राजपूत के अपोजिट फिल्म ‘दिल बेचारा’ से शुरू की। अपनी सादगी से भीड़ में अलग नजर आनेवाली संजना फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ और ‘फुकरे रिटर्न्स’ में नजर आ चुकी हैं। हाल फिलहाल में संजना की दो फिल्में ‘धकधक’ और ‘कड़क सिंह’ रिलीज हो चुकी है। पेश हैं, संजना सांघी से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 आपके लिए वर्ष २०२३ कैसा रहा?
कभी कोई वर्ष खास नहीं जाता और कभी करियर के दृष्टिकोण से कोई वर्ष जिंदगी बदल देनेवाला बन जाता है। २०२३ में मेरी दो फिल्में रिलीज हुर्इं। इस बात की मुझे खुशी है कि मेरी सभी फिल्में एक-दूसरे से अलग हैं। ‘धकधक’ और ‘कड़क सिंह’ में मेरे परफॉर्मेंस की तारीफ हुई। मेरे लिए वर्ष २०२३ बहुत ही उम्दा रहा।

 फिल्म ‘कड़क सिंह’ में काम करने का कितना अलग अनुभव रहा?
मेरे अंदर की प्रतिभा को निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने बहुत अच्छी तरह से एक्सप्लोर किया। मुझे लगता है ऐसा बार-बार होता रहे। वो एक ऐसे निर्देशक हैं, जिन्होंने मेरे साथ काम करते हुए बहुत पेशंस दिखाया। कई बार एहसास हुआ कि वे मुझसे अधिक से अधिक अच्छा परफॉर्मेंस चाहते हैं। शायद मैं उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रही हूं। मैं उनके साथ बार-बार फिल्में करना चाहूंगी।

 मंजे हुए कलाकार पंकज त्रिपाठी से आपने क्या सीखा?
एक एक्टर के रूप में पंकज जी में कितनी क्षमताएं हैं फिल्म ‘कड़क सिंह’ करने से पहले मुझे यह बताया गया था। फिल्म में मैं पंकज जी की बेटी बनी हूं। सेट पर भी हम दोनों के बीच पिता-पुत्री जैसा रिश्ता बन गया था। सेट पर अपनी खुद की बेटी की तरह उन्होंने मेरा ध्यान रखा। मुझे लगता है कि मैंने पंकज जी से अभिनय की पीएचडी नहीं, बल्कि पूरी पाठशाला सीखी है।

 फिल्म के लिए आपने किस तरह की तैयारी की थी?
मेरे अब तक के करियर की ‘कड़क सिंह’ पहली फिल्म होगी, जिसमें मुझे क्या किसी भी कलाकार के लिए कोई भी चैलेंज नहीं था। बहुत ही स्मूथली काम होता रहा। सभी कलाकार एक-दूसरे के लिए कॉम्प्लिमेंट थे। साथ में रिहर्सल करने और साथ में खाने-पीने से सभी के बीच बहुत प्रगाढ़ता हो गई थी। हालांकि, शूटिंग बड़ी हेक्टिक थी लेकिन कभी लगा नहीं कि वो परेशानी थी।

आप अपने किरदार साक्षी के कितनी करीब हैं?
साक्षी दिल से बड़ी सशक्त है। जो चीजें वो बर्दाश्त करती है उन्हें बेहद शांति से लेती है और कभी उसने अपने दिल के जज्बातों को जाहिर नहीं किया। मुझे साक्षी से हमेशा प्रेरणा ही मिली। लेकिन कई बार जीवन जैसा दिखता है वैसा होता नहीं। जिंदगी में आई चुनौतियां हमें संकटों से लड़ने का संबल देती हैं। मैं साक्षी नहीं हूं लेकिन मैंने उससे प्रेरणा पाई है।

आप पढ़ाई में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। क्या पढ़ाई में आगे न जाने का आपको कोई मलाल है?
बिल्कुल भी नहीं। अगर मैं यह सोचती कि मुझे एकेडेमिक्स में करियर करना है तो यह एक फॉर्म्यूले वाली सोच हुई। पढ़ाई में तेज होने के बावजूद अभिनय में मैं अपना करियर बना रही हूं यह बात जीवन में हौसले बुलंद करती है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान जैसे सुपरस्टार्स ने पढ़ाई की है। अगर ये चाहते तो एकेडेमिक्स में शिखर तक पहुंच सकते थे लेकिन अभिनय का रुझान उन्हें अभिनय में ले आया। मुझे अभिनय में दिलचस्पी थी और पढ़ाई पूरी करने के बाद ही मैं यहां आयी हूं। पढ़ा-लिखा कलाकार अपनी कला को और बेहतर आयाम दे सकता है।

 अपने अब तक के करियर से आप कितनी संतुष्ट हैं?
मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि मामला करियर का है। मेरा फिल्मी करियर लगभग २०१६ में शुरू हुआ। सात सालों में दो साल तो कोरोना और लॉकडाउन की भेंट चढ़ गए। बाकी बचे ५ वर्षों में मेरी पांच-छह फिल्में ‘बार बार देखो’, ‘फुकरे रिटर्न्स’, ‘कड़क सिंह’, ‘राष्ट्र कवच ओम’, ‘दिल बेचारा’ और ‘धकधक’ जैसी फिल्में रिलीज हुर्इं। इन चंद फिल्मों से मुझे कैसे और कहां से संतुष्टि मिलेगी? जब तक मुझे अच्छे और परफॉर्मेंस ओरिएंटेड रोल मिलेंगे, मैं उन्हें करती रहूंगी।

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