तूने नाता जो जग से लगाइ, सगाई तेरी काल से होगी।
तूने प्रीत ना गुरु से लगाई,सगाई तेरी काल से होगी।
समझ बिना यहां, धोखा है खाता।
मोहं में फंस के यमपुर है जाता।
खाली ठोकर यहां, मिलता रे भाई,। सगाई तेरी
वादा किया था जो भूल गया है।
सपनों में क्यों घुल गया है।
अंत में होगी तेरी, बहुत धुलाई। सगाई तेरी
धन दौलत ए महल खजाना।
नाता रिश्ता यहां सबही फंसाना।
आया जो करने को करे न कमाई। सगाई तेरी
भक्ति भजन सेवा, मन ही न भाया।
भोग विलास में, रहा अरुझाया।
मार पड़ेगी कोई, सुने न दुहाई। सगाई तेरी
जय गुरु बंदे नाम, अगम अपारा।
मन माया का, छूटै अंधियारा।
निज घर हंसा हो ,अपने नहाई। सगाई तेरी
साहेब सबका…
-अनिल यादव, नालासोपारा