कवि हूं…

कवि हूं कविता करके मैं
कुछ बात बताने आया हूं।
सोया है इंसान उसे मैं
आज जगाने आया हूं।।
अंधेरे में छोटा सा एक
दीप जलाने आया हूं।
भटक रहे हैं जो भी उनको
राह दिखाने आया हूं।।
इस समाज को देशभक्ति का
पाठ पढ़ाने आया हूं।
जागो तुमको नई नई
हर बात बताने आया हूूं।।
सावधान रहने का तुमको
हुनर सिखाने आया हूं
सभी तरह के दुख दर्दों को
दूर भगाने आया हूं।
कलम चलाकर इस भारत का
मान बढ़ाने आया हूं।
नासमझी से लड़ने का
हथियार बनाने आया हूं।।
सीने में जो आग बुझ रही
उसे जलाने आया हूं।
भारत मां के लिए समर्पित
गान सुनाने आया हूं।।
पावन हो इंसान यही
अरमान जगाने आया हूं।
अमन चैन का आज तुम्हें
संदेश सुनाने आया हूं।।
बड़े प्यार से कविता का
इतिहास बनाने आया हूं।।
नैतिकता

नैतिक मूल्य जगाना होगा।
त्याग हमें अपनाना होगा।
जाना तय है इस दुनिया से।
तब तो प्यार लुटाना होगा।।
इस जीवन का अर्थ समझकर।
मधुर मधुर कुछ गाना होगा।।
व्यर्थ बात जो हमें सताती।
उससे पिंड छुड़ाना होगा।।
संयम वाली राह पकड़कर।
जीवन सफल बनाना होगा।।
अंधेरे में किसी तरह से।
दीपक नया जलाना होगा।।
सफर कठिन है फिर भी हमको।
मंजिल तक तो जाना होगा।।
जब भी घेरे हमै निराशा।
सोया ज्ञान जगाना होगा।।
समय यहाँ परिवर्तन लाता।
मन को यह समझाना होगा।।
जब आए संघर्ष सामने।
तब पौरुष दिखलाना होगा।।
शक्ति संतुलन के दर्शन को।
आगे हमें बढ़ाना होगा।।
धीरज के रथ पर सवार हो।
जौहर हमें दिखाना होगा।।
शांति हमारा मूल भाव है।
उसका जश्न मनाना होगा।।
मान प्रतिष्ठा के परचम को।
जीवन में लहराता होगा।।
जाने से पहले हमको बस।
इतना सा कर जाना होगा।।
नैतिक मूल्य जगाना होगा।
त्याग हमें अपनाना होगा।।
अन्वेषी

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