सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी मेरे दरवाजे पर अब नहीं आएगी। मैं आखिरी व्यक्ति था, जिसके पीछे ईडी पड़ी थी। मैं आखिरी आदमी था, जिसके साथ ईडी ने पंगा लिया, लेकिन अब नहीं लेंगे। ऐसे तीखे शब्दों में संजय राऊत ने हमला बोलते हुए ईडी की खबर ली। जावेद अख्तर, साकेत गोखले और शरद तांदले की हिम्मत की सराहना करते हुए संजय राऊत ने ईडी के जाल पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि साकेत और मेरे बीच समानता यह है कि मैं उसमें अपनी ही छवि देखता हूं। वे और मैं ईडी के जाल में फंसे थे। हमारे शरद तांदले ने वाकई में साहसिक कार्य किया है। कल तुम अपने दरवाजे ईडी के लिए खुले रखो, लेकिन एक बात कहता हूं कि अब ईडी तुम्हारे दरवाजे पर नहीं आएगी। मैंने ईडी का मुंह बंद कर दिया है।
सच्चाई और
नैतिकता को
मैंने कभी नहीं छोड़ा
मेरी पहचान हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के कारण हुई
‘नरकातला स्वर्ग’ के विमोचन के अवसर पर संजय राऊत ने जमकर दहाड़ा
सामना संवाददाता / मुंबई
प्रभादेवी स्थित रविंद्र नाट्य मंदिर में आयोजित समारोह में ईडी पर तीखा प्रहार करते हुए संजय राऊत ने जावेद अख्तर की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जावेद अख्तर केवल एक लेखक, पटकथाकार नहीं हैं, बल्कि जहां कहीं देश में अन्याय होता है, वहां वे निरंतर अपनी आवाज उठाते हैं। उनका यहां होना बेहद प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि शरद पवार के बिना यह कार्यक्रम हो ही नहीं सकता था। वे पर्दे के पीछे और सामने से भी हमारे लिए कई लड़ाइयां लड़ते रहे हैं। माननीय उद्धव ठाकरे मेरे सर्वोच्च नेता, मित्र और हमेशा मेरे साथ खड़े रहनेवाले हैं। एक खास मेहमान साकेत गोखले को हमने कोलकाता से बुलाया है। अब साकेत गोखले कोलकाता में कहां से आए? वे तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं और ममता बनर्जी ने उन्हें विशेष रूप से बुलाकर सांसद क्यों बनाया। उन्हें कोलकाता में महाराष्ट्र से एक जुझारू व्यक्ति चाहिए था।
संजय राऊत ने कहा कि हम दोनों के बीच समानता है। मैं उनमें अपनी प्रतिकृति देखता हूं। वह भी ईडी के जाल में फंसे थे और मैं भी। साकेत गोखले कुछ समय से एक युवा राजनेता, बेहतरीन पत्रकार और लेखक रहे हैं। वे मूलत: मुंबई के रहनेवाले हैं।
मैं झुकनेवाला व्यक्ति नहीं हूं
संजय राऊत ने कहा कि हम झुकनेवालों में से नहीं हैं। मैंने और अनिल देशमुख ने तय किया कि कुछ भी हो जाए, लेकिन इस जुल्मी शासन व्यवस्था के सामने नहीं झुकना है, क्योंकि किसी को लड़ना ही पड़ेगा। जेल में पुस्तक लिखने की प्रेरणा मैंने अनिल देशमुख को भी दी थी।
जेल से लोग बैरिस्टर होकर निकलते हैं
संजय राऊत ने कहा कि जेल में जजमेंट की कॉपियां पढ़कर लोग बैरिस्टर होकर बाहर निकलते हैं। आठ दिन भी जेल में रहे तो सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट वैâसे चलता है, कोर्ट में कौन से जज हैं, कौन-सी बेंच हैं, इन सभी पर पीएचडी कर लेते हैं।
जेल में लिखी ८० प्रतिशत पुस्तक
संजय राऊत ने कहा कि ८० प्रतिशत पुस्तक को मैंने जेल में ही लिख लिया था, लेकिन शेष २० प्रतिशत लिखने में दो साल लग गए। पुस्तक का सार है कि जिसे विपक्ष में काम करना है, उसे यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। महाराष्ट्र मूर्ख नहीं है। इस पुस्तक का सार है। हम जेल में जाने से नहीं डरते हैं। इससे लड़ने की यदि १०० लोगों ने प्रेरणा ली तो देश से तानाशाही खत्म होगी, गाड़ दी जाएगी। कुछ लोगों ने महाराष्ट्र का भी नरक किया।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत की पुस्तक ‘नरकातला स्वर्ग’ (नरक में स्वर्ग) का विमोचन समारोह शनिवार को प्रभादेवी स्थित रविंद्र नाट्य मंदिर में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पटकथा लेखक, कवि जावेद अख्तर, शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार और तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले उपस्थित थे। इस अवसर पर संजय राऊत ने जोरदार भाषण देते हुए जेल के अनुभव साझा किए।
किताब में लिखा है सत्य
संजय राऊत ने कहा कि हमारी लड़ाई में सभी ने समय-समय पर हमें और परिवार को नैतिक समर्थन दिया। इसी वजह से यहां प्रचंड संख्या में लोग इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं यदि संपादकीय लिखता हूं तो उस पर चर्चा होती रहती है। ऐसे में यदि पुस्तक लिखने पर चर्चा नहीं होगी तो फिर क्या मतलब है। दो दिनों से पुस्तक में लिखी बातों पर कई लोगों को मिर्ची लगी है, लेकिन इसमें लिखा हर शब्द सत्य है। उन्होंने कहा कि मेरी पहचान माननीय हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के कारण हुई है। उनके द्वारा दिए गए सबक सच्चाई और नैतिकता को मैंने कभी नहीं छोड़ा। इसका आखिरी तक पालन करूंगा। इस बीच संजय राऊत ने शायरी की कि लाख तलवारें बढ़ रही हैं गर्दन की ओर, पर मुझे झुकना नहीं आता तो झुके वैâसे। इस शायरी के जरिए एक तरह से केंद्र सरकार पर हमला बोला।
संजय राऊत ने नाम लिए बिना मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि मुझे जेल में खरगोश जैसा दिखा। मैंने सोचा यह यहां वैâसे आया। इसी बीच एक ने कहा कि यह खरगोश नहीं, बल्कि चूहा है। इसका अनिल देशमुख ने अच्छा नाम भी रखा था। लेकिन उनके बारे में बोलना ठीक नहीं होगा, क्योंकि अब वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं। हमें मर्यादा का पालन करना चाहिए।