अपनी मुट्ठी में आसमां भर लाऊं
जो तारों से मेरी जिंदगी को जगमगाहट दे दे
जो चांद से मेरी जिंदगी को
रौशन कर दे
जो मेरी पलकों में मीठे ख्वाब लाए
जो सूरज की ऊर्जा मुझे दे दे
जो सूरज की किरणें मुझ पर डाले
सप्तर्षि का आशिर्वाद मुझ पर बरसे
ध्रुव तारा का स्नेह मुझे मिले
दिल उड़ान भरे
बादलों की सैर कर आए
जो इंद्रधनुष के सतरंगी रंग
मुझ पर बिखेरे
जो बारिश के पानी से
मेरे भारी तन को हल्का कर दे
जो हाथों की लकीरों को मोड़ दे
जो माथे की बद लकीरों को तोड़ दे
जो बिगड़ी तकदीर को संवार दे
धरती और आसमां एक दूजे के मोहताज हैं
कभी धरती चुप रहती है
आसमां रौवाब दिखाता है
तो कभी आसमां झुकता है
धरती शान में आती है
ये दोनों मिल कर मानव से
शह और मात के खेल रचाते हैं।
-अन्नपूर्णा कौल, नोएडा