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प्रदूषण निगरानी यंत्र नहीं तो बंद करें निर्माण कार्य  …निर्माण स्थलों पर सीसीटीवी वैâमरे लगाने पर करे विचार

– हाई कोर्ट ने मनपा को दिया आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई
निर्माण स्थलों पर प्रदूषण और वायु गुणवत्ता की सही स्थिति जानने के लिए जनवरी में मुंबई के सभी निर्माण स्थलों पर प्रदूषण निगरानी यंत्र लगाने और इसका पालन नहीं करने वाले निर्माण कार्य बंद करने का सीधा आदेश दिया गया था। हालांकि, अप्रैल समाप्त होने के बावजूद मंगलवार को हाई कोर्ट ने इन आदेशों का पालन नहीं करने पर मुंबई मनपा को फटकार लगाई। साथ ही आदेश का पालन करने के लिए छह सप्ताह की समयसीमा दी और मनपा को एक महीने के भीतर आदेश का पालन करने का निर्देश भी दिया। यह कहते हुए कि आप हमारे आदेश को केवल कागजों पर नहीं रख सकते।
मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ ने मनपा को यह भी निर्देश दिया कि यदि निर्माण स्थलों पर प्रदूषण निगरानी यंत्र नहीं लगाए गए हैं तो वे निर्माण कार्य बंद कर दें। कोर्ट ने मनपा को निर्माण स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने पर विचार करने का भी आदेश दिया। मनपा ने कोर्ट में दावा किया कि निर्माण स्थलों पर प्रदूषण और वायु गुणवत्ता की सही स्थिति जानने के लिए आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही इसके तहत इस स्थिति को सटीक रूप से दर्शाने वाली एकीकृत प्रणाली विकसित करने का जिम्मा आईआईटी मुंबई और आईआईटी कानपुर को दिया गया है। मनपा ने कोर्ट को यह भी बताने की कोशिश की कि दोनों संस्थान १५ दिन के भीतर इस संबंध में अध्ययन पूरा कर लेंगे। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस प्रक्रिया में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाए। साथ ही दोहराया कि मनपा को निर्माण स्थलों पर ये प्रदूषण निगरानी उपकरण लगाने होंगे। इससे पहले कोर्ट ने जनवरी में कार्रवाई करने का सीधा आदेश जारी किया था।
उसके बाद भी चर्चा और बैठकों का दौर जारी है। आदेश के बाद चर्चा करने का क्या मतलब है, यह बात एक जनहित याचिका की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जनक द्वारकादास ने कोर्ट को बताई। कोर्ट ने इस पर भी संज्ञान लिया और आदेश के पालन में हो रही देरी पर एक बार फिर नाराजगी जताई। हालांकि, मनपा ने एकीकृत उपकरण विकसित करने के लिए आईआईटी मुंबई और आईआईटी कानपुर को नियुक्त किया है। इसलिए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह मनपा को ९ जनवरी के आदेश का पालन करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर उसके बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

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