मुख्यपृष्ठनए समाचारपनवेल आए तो होगा पंगा! ...केमिकल फैक्ट्रियों के स्थानांतरण पर विरोध शुरू

पनवेल आए तो होगा पंगा! …केमिकल फैक्ट्रियों के स्थानांतरण पर विरोध शुरू

सामना संवाददाता / मुंबई
डोंबिवली एमआईडीसी में हुए विस्फोट के बाद राज्य सरकार ने यहां की कंपनियों को पनवेल स्थित पातालगंगा एमआईडीसी में स्थानांतरित करने का फैसला किया है, लेकिन राज्य सरकार के इस पैâसले का अब पातालगंगा के ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर कंपनियों को यहां स्थानांतरित किया गया तो वे आंदोलन करेंगे।
डोंबिवली में हुए धमाके में अब तक १३ लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं। इसके साथ ही इस इलाके के हजारों घर क्षतिग्रस्त हो गए। यहां एमआईडीसी से लगे निवासी क्षेत्रों के लोगों के विरोध के बाद अब सरकार अंबरनाथ के बजाय अंतत: रासायनिक कंपनियों को पातालगंगा में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। डोंबिवली में हुए केमिकल ब्लास्ट के चलते राज्य सरकार ने इस इलाके की केमिकल कंपनियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने का पैâसला किया है। इसके लिए इन कंपनियों को पातालगंगा एमआईडीसी इलाके में शिफ्ट किया जाएगा। डोंबिवली एमआईडीसी में कंपनियों और निवासी क्षेत्रों के बीच कोई बफर जोन नहीं था, परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई और हजारों घर नष्ट हो गए। हालांकि, सरकार की मंशा है कि केमिकल कंपनियों को बफर जोन क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए, लेकिन पातालगंगा क्षेत्र में एमआईडीसी साइट और यहां के गांव एक-दूसरे से सटे हुए हैं, जहां केमिकल कंपनियों को स्थानांतरित किया जाना है। इसलिए ग्रामीणों, संघर्ष समिति और राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है। शेकाप के सरपंच सुनील सोनावले और विजय मुरकुटे ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ग्रामीणों के भरोसे के बिना रासायनिक कंपनियों को पातालगंगा में लाती है, तो वे सड़कों पर उतरेंगे और विरोध करेंगे। ‘किसान संघर्ष समिति’ के अध्यक्ष मारुति पाटील ने कहा कि वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। अगर सरकार हमारे क्षेत्र में कंपनियां लाती है और युवाओं को रोजगार देती है तो हम इसका स्वागत करेंगे। हम रासायनिक कंपनियों को पूरी तरह से स्थानांतरित करने का विरोध करेंगे। स्थानीय लोगों ने साफ कर दिया है कि हम उन कंपनियों का विरोध करेंगे, जो बेहद खतरनाक और ज्वलनशील हैं। यहां की केमिकल कंपनियों में पिछले तीन महीने में कई बार आग लग चुकी है। राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य महेंद्र घरत ने कहा है कि हम पातालगंगा में रासायनिक कंपनियों के आने के खिलाफ हैं क्योंकि वे हवा में जहरीला धुआं छोड़ कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

स्थानांतरण की रचना के बिंदु
पातालगंगा की जमीन सरकार ने इंजीनियरिंग जोन के लिए वर्ष १९८२ में अधिग्रहित की थी।
कुल ३ हजार एकड़ जमीन ली गई।
छोटी-बड़ी कुल मिलाकर १४५ कंपनियां हैं।
पातालगंगा एमआईडीसी से सटे ११ गांव, ८ ठाकुरवाड़ा, ८ कातकरी वाडा हैं।
फिलहाल, यहां १० से १२ केमिकल कंपनियां काम कर रही हैं।
पातालगंगा एक इंजीनियरिंग जोन है, इसके बावजूद यहां केमिकल कंपनियां आ रही हैं।
पातालगंगा की आबादी १८ से २० हजार है। अगले पांच साल में यह आबादी बढ़कर ५० हजार तक पहुंचने की संभावना है।

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