सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने विशालगढ़ किले पर बने कथित अवैध निर्माणों को तोड़ने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि बिना उचित सुनवाई के की गई कार्रवाई न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होगी और इससे गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
मामले की शुरुआत तब हुई, जब महाराष्ट्र पुरातत्व विभाग ने ५ फरवरी २०२५ को आदेश जारी कर किले पर बने कुछ निर्माणों को अवैध घोषित किया था। आदेश में निवासियों और व्यापारियों को ३० दिनों के भीतर निर्माण हटाने के लिए कहा गया था। ऐसा न करने पर प्रशासन ने बलपूर्वक कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
इस पैâसले के खिलाफ कई स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनके मकान और दुकानें १९९९ से पहले बनी थीं इसलिए इन्हें अवैध नहीं माना जा सकता। उन्होंने अदालत के सामने मतदाता सूची, स्कूल प्रमाणपत्र, भूमि राजस्व दस्तावेज जैसे प्रमाण प्रस्तुत किए, ताकि यह साबित किया जा सके कि निर्माण नए नहीं हैं। न्यायमूर्ति अमित बोरकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष को गंभीरता से लेते हुए कहा कि प्रशासन ने सिर्फ निर्माण अनुमति से जुड़े दस्तावेजों के आधार पर अवैध करार देने का निर्णय लिया, जबकि जांच किए बिना ही आदेश जारी कर दिया।