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उल्हासनगर के लोगों की जागरूकता के अभाव में नाले में बहता है कचरा

सिटीजन रिपोर्टर
उल्हासनगर से बहनेवाला नाला उल्हास नदी की तरफ जाता है। उस नाले के पानी में भारी मात्रा में कचरा भी बहता है। एसटीपी प्लांट के लोगों को कचरा बाहर निकालने में काफी दिक्कत होती है। उल्हासनगर के नाले से पानी की बजाय बहते कचरे को देखकर पर्यावरण के चहेते उल्हासनगर के लोगों की घोर निंदा कर रहे हैं। इसी प्रकरण में ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर महेंद्र यादव ने उल्हासनगर वासियों द्वारा पर्यावरण को दूषित करने का बयान दिया है।
महेंद्र यादव ने कहा कि उल्हासनगर मनपा प्रशासन पर्यावरण को प्रदूषित करनेवाले कारकों जैसे प्लास्टिक, नारियल, थर्माकोल जैसी चीजों को रोकने में फेल हो रहा है। उल्हासनगर मनपा सरकार द्वारा जारी निर्देशों पर अमल नहीं कर पा रही है। आश्चर्य की बात है कि उल्हासनगर वैंâप नंबर-२ के ओटी सेक्शन से एक बड़ा नाला फक्कड़ मंडली से कमला नेहरू नगर से होते हुए उल्हास नदी में मिलता है। इस नाले के पास तबेला है। हजारों लोगों की बस्ती से होकर नाला बहता है। काफी कानूनी लड़ाई के बाद मनपा ने ३५ एमएलडी क्षमता का एसटीपी (अशुद्ध जल शुद्धिकरण केंद्र) खोला। जहां पर नाले के पानी को साफ कर वालधुनी नदी या फिर शांतिनगर में भेजा जाता है। उल्हास नदी में अब उल्हासनगर के खेमानी नाले के दूषित पानी को नदी में जाने से रोक दिया गया है। परंतु शर्मनाक बात तो यह है कि उल्हासनगर के लोग नाले में प्लास्टिक, प्लास्टिक की बोतल, नारियल जैसे सामान को फेंक देते हैं। नाले में चार जगहों पर स्टेनर लगाया गया है, जिससे तकरीबन बीस फुट गहरे नाले में सप्ताह भर में कई ट्रक कचरा जमा हो जाता है, जिसे पोलैंड मशीन से निकाला जाता है। उल्हासनगर के लोगों को कौन बताए कि नाला पानी बहने के लिए होता है न कि कचरा फेंकने के लिए? पर्यावरण के प्रति उल्हासनगर के लोगों में जागरूकता न होने के कारण उल्हासनगर मनपा प्रशासन ने पहले तो ३५ करोड़ रुपए खर्च कर एसटीपी प्लांट लगाया। फिर जय भारत ठेकेदार को ठेका देकर रखा गया है। मनपा नाले के अशुद्ध जल के शुद्धीकरण पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। पंप में कचरा फंसने से काफी दिक्कत होती है।
मनपा के जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता परमेश्वर बुडगे का कहना है कि उल्हासनगर के लोगों को चाहिए कि नाले को पानी बहने के लिए छोड़ दें। उसमें घरेलू, व्यावसायिक कचरा न फेंके। लोगों की गलत आदत के चलते पर्यावरण पर विपरीत परिणाम होता है। कचरे को सही जगह पर उचित प्रक्रिया के लिए दिया जाए। कचरे के कारण प्रक्रिया काफी परेशानी बढ़ा देती है। नाले में कचरे के कारण मनपा प्रशासन को आर्थिक नुकसान भुगतना पड़ता है।

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