सामना संवाददाता / नई दिल्ली
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। बीते 48 घंटों में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने उसकी सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए समुद्री और हवाई मोर्चों पर आक्रामक रुख अपनाया है।
इसी बीच भारतीय नौसेना को एक महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त हासिल हुई है। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को आठ उन्नत पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों (ASW) में से पहला जहाज INS अर्नाला सौंप दिया है। यह जहाज समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा को और अधिक पुख्ता बनाएगा।
77.6 मीटर लंबे और 10.5 मीटर चौड़े इस अत्याधुनिक युद्धपोत की तैनाती से भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमता में बड़ा इजाफा हुआ है। INS अर्नाला उन तटीय इलाकों में गश्त करने में सक्षम है, जहां दुश्मन की पनडुब्बियों के छिपे होने की आशंका रहती है। यह जहाज निगरानी, खोज और सटीक हमले की पूरी क्षमता रखता है।
INS अर्नाला को 30 मिमी की सीएन-91 नेवल ऑटोमैटिक गन से लैस किया गया है, जो एक मिनट में 550 गोलियां दाग सकती है। इसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर तक है। यह भारतीय नौसेना का वाटर जेट प्रोपल्शन सिस्टम से संचालित सबसे बड़ा युद्धपोत है।
GRSE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि INS अर्नाला को विमानों के साथ समन्वय कर पनडुब्बी रोधी अभियान चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। खास बात यह है कि इसके निर्माण में 88% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अहम कदम है।
GRSE फिलहाल कुल 16 युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है, जिनमें तीन P17A स्टील्थ फ्रिगेट, सात ASW SWC, दो सर्वेक्षण पोत और चार अगली पीढ़ी के गश्ती पोत शामिल हैं।
INS अर्नाला, अभय श्रेणी के पुराने ASW जहाजों की जगह लेगा और आने वाले दिनों में भारत की नौसैनिक शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।