-मनपा की वार्षिक पर्यावरण रिपोर्ट में हुआ खुलासा शहर के सारे जलस्रोत और खाड़ियां हुईं प्रदूषित
द्रुप्ति झा / मुंबई
मीरा-भायंदर में बढ़ते प्रदूषण ने दिल, फेफड़े और दमा के मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। शहर के लोगों की सेहत खतरे में है। बढ़ते प्रदूषण से प्रशासन की लापरवाही भी उजागर होती है। मीरा-भायंदर के प्रमुख जलस्रोतों की पानी की गुणवत्ता बेहद चिंताजनक है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, डोंगरी तालाब, जरीमरी तालाब, मोरवा तालाब, नवघर तालाब सहित शहर के सभी मीठे पानी के जलस्त्रोत में रासायनिक और जैविक प्रदूषण के संकेत मिले हैं।
इसके अलावा भायंदर खाड़ी और घोडबंदर खाड़ी के भी दूषित होने के संकेत मिले हैं। शहर में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। एमबीएमसी के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, १३ प्रमुख स्थानों में से अधिकांश जगहों पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर निर्धारित ६५ डेसिबल की सीमा को पार कर गया है। सबसे खराब स्थिती मीरारोड स्टेशन और काशीमीरा चौक की है, जहां पर ९४.६ और ७३.४ डेसिबल ध्वनि दर्ज की गई। फाउंटन होटल के पास घोडबंदर रोड (७२.३) के पास भी शोर का स्तर अधिक रहा। लगातार बढ़ रहे शोर ने नागरिकों की नींद, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को प्रभावित किया है, जो चिंता का विषय है। इसके अलावा त्योहारों के दौरान शहर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर हमेशा चिंताजनक रहता है।
हवा कर रही है फेफड़ों को खराब
मीरा-भायंदर मनपा की रिपोर्ट भले ही शहर की वायु गुणवत्ता को संतोषजनक बताती हो, लेकिन सालभर के आंकड़े अलग तस्वीर पेश करते हैं। विशेष रूप से अक्टूबर माह में प्रदूषण का स्तर २८४ तक पहुंच गया था, जो खराब श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति लगातार निर्माण कार्यों, बढ़ते वाहन प्रदूषण और हरियाली की कमी के कारण पैदा हुई है। अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में फेफड़ों की बीमारी और सांस संबंधी तकलीफें आम हो जाएंगी।