सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में बीते कुछ वर्षों से लगातार हो रही अत्यधिक वर्षा अब चिंता का कारण बन गई है। २६ मई को सिर्फ एक घंटे में नरिमन पॉइंट स्थित ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) ने १०४ मिमी बारिश दर्ज की, जिससे दक्षिण मुंबई के कई हिस्सों में भारी जलजमाव हो गया। मनपा द्वारा वर्ष २०१४ से २०२४ के बीच किए गए विश्लेषण में इस तरह की तेज बारिश के दिनों में खतरनाक वृद्धि को चिन्हित किया गया है।
मनपा के मुताबिक, मुंबई में हर साल औसतन १६ ऐसे दिन होते हैं जब बारिश १०० मिमी से अधिक होती है। लेकिन पिछले तीन वर्षों में इन दिनों की संख्या में साफ बढ़ोतरी देखी गई है। वर्ष २०१४ से २०२४ के बीच शहर में २८ बार अत्यधिक बारिश हुई, जिसमें १२० मिमी से २६७ मिमी तक की वर्षा सिर्फ चार घंटे में हुई। बीते छह वर्षों में ऐसे मौकों पर औसतन १८२ मिमी वर्षा हुई, जबकि इससे पहले के पांच वर्षों में ये आंकड़ा १३१ मिमी था।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अरब सागर के बढ़ते तापमान के कारण मानसून के दौरान वातावरण में अधिक नमी बनने लगी है। इससे बारिश की अवधि लंबी और तीव्र होती जा रही है। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में बढ़ती गर्मी और घनी आबादी ने `अर्बन हीट आइलैंड’ जैसे प्रभावों को जन्म दिया है, जिससे स्थानीय तूफान और बिजली कड़कने की घटनाएं बढ़ी हैं।
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि पहले की तुलना में अब शहर में अधिक वेदर स्टेशन मौजूद हैं, जिससे क्षेत्र-विशिष्ट बारिश को बेहतर ढंग से मापा जा रहा है। इस वजह से बारिश बढ़ी नहीं है, बल्कि उसकी माप सटीक हो गई है।