धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
घाती सरकार द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं पर लगातार दमन जारी है। इसके तहत मजबूरन प्रदेश की दो लाख सेविकाओं को अपना अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले साल से ही मोर्चा, धरना और हड़ताल करने के बावजूद घाती सरकार ने न तो इनके मानधन में वृद्धि की और न ही अन्य मांगों की पूर्ति ही की। इससे अब आंगनवाड़ी सेविकाएं और आक्रामक रुख अख्तियार करने जा रही हैं। इसके तहत कल से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठने जा रही हैं। इसके साथ ही २१ अगस्त से दो लाख आंगनवाड़ी सेविकाएं मोर्चा निकालते हुए घाती सरकार को घेरेंगी।
घाती सरकार का झुनझुना
उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर ४ दिसंबर २०२३ से २५ जनवरी २०२४ तक ५२ दिनों की राज्यव्यापी हड़ताल की थी। हड़ताल के दौरान महिला व बाल विकास मंत्री ने लिखित आश्वासन दिया था कि पहले आशा सेविकाओं के मानधन में वृद्धि की जाएगी। उसके बाद आंगनवाड़ी सेविकाओं के मानधन को भी बढ़ाया जाएगा। फिलहाल, घाती सरकार ने १४ मार्च २०२४ को आशा सेविकाओं के मानधन में ५,००० रुपए प्रति माह की वृद्धि का निर्णय लिया है। ऐसे में आंगनवाड़ी सेविकाओं को भी आशा सेविकाओं के समान मानधन में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन इस सरकार ने अभी तक आंगनवाड़ी सेविकाओं के वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव ही नहीं दिया है। इससे आंगनवाड़ी सेविकाएं चिंतित हैं कि अगर अगस्त में वेतन में वृद्धि का निर्णय नहीं लिया गया, तो विधानसभा चुनावों के कारण आचार संहिता लागू हो जाएगी और उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा। ५२ दिनों तक चले हड़ताल के बाद आंगनबाड़ी सेविकाओं को केवल आश्वासन का झुनझुना पकड़ाकर घाती सरकार ने हड़ताल खत्म करा दिया था। लेकिन आज तक घाती सरकार ने उन आश्वासनों को पूरा नहीं किया है।