मुख्यपृष्ठविश्वभारत की कारीगरी ने विश्व मंच पर बिखेरी चमक...लास वेगस में रत्नों...

भारत की कारीगरी ने विश्व मंच पर बिखेरी चमक…लास वेगस में रत्नों के महोत्सव का भव्य समापन

अमेरिका, लास वेगस 

विश्व के सबसे प्रतिष्ठित रत्न एवं आभूषण व्यापारिक आयोजन-जेसीके शो और एजीटीए जेमफेयर 2025-का समापन समारोह वेनिशियन एक्सपो के प्रांगण में रविवार की रात उत्सव की भव्यता और भारत की गरिमा के साथ संपन्न हुआ। चार दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में जहां एक ओर कार्टियर, टिफ़नी, स्वरोवस्की और शोपार्ड जैसे वैश्विक ब्रांड्स की उपस्थिति रही, वहीं भारत की पारंपरिक और आधुनिक कारीगरी ने अपनी अलग पहचान स्थापित की।
इस आयोजन में भारत के लगभग हर प्रमुख आभूषण केंद्र की विशिष्ट कला को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर मान्यता मिली। जयपुर से आए कारीगरों ने पारंपरिक थक्किका कारीगरी और कुंदन-मीना शैली की झलक दिखाई, जो राजस्थानी गौरव का प्रतीक हैं।कोलकाता के शिल्पकारों ने बारीक फिलिग्री वर्क और नक्काशीदार सोने की चूड़ियों की अद्भुत श्रृंखला प्रस्तुत की, जो बंगाल की सूक्ष्मता और कलात्मक बारीकी का परिचायक हैं। चेन्नई और कोयंबटूर से आए कारीगरों ने टेम्पल ज्वैलरी-जिसमें देवी-देवताओं की आकृतियां शुद्ध सोने में उकेरी जाती हैं-का प्रदर्शन कर दक्षिण भारतीय परंपराओं को वैश्विक दर्शकों के सामने रखा।
मुंबई के डिजाइन हाउसों ने 3D प्रिंटिंग तकनीक और AI आधारित डिज़ाइनिंग से बने स्मार्ट आभूषणों की प्रस्तुति दी, जो पारंपरिक सौंदर्य और आधुनिक टेक्नोलॉजी का अद्वितीय समन्वय था। वहीं सूरत के हीरा काटने और पॉलिशिंग विशेषज्ञों ने दुनिया को दिखाया कि ‘फिनिशिंग’ केवल तकनीक नहीं, एक भारतीय परंपरा भी हैं। अमदाबाद और राजकोट के कारीगरों की हाथ से जड़ी जरी-जड़ाऊ कारीगरी और गुजराती नक्काशीदार झुमके ने भी खासा आकर्षण प्राप्त किया।
इसी सांस्कृतिक वैभव के मध्य भारतीय प्रतिनिधि भरतकुमार सोलंकी ने गोलमेज परिचर्चा में कहा, “भारत की आर्थिक समृद्धि के पीछे उसकी कला, कारीगरी और श्रम का अपार बल छिपा हैं। यदि हम अपने कलाकारों और शिल्पकारों को वैश्विक डिजाइन और निवेश मूल्य की मुख्यधारा में लाए, तो न केवल लाखों परिवारों को रोजगार मिलेगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान मिलेगी।” उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि “Gem & Jewellery Investment Index” जैसे आर्थिक संकेतक तैयार किए जाएं, जिससे आभूषण क्षेत्र पारंपरिक श्रृंगार से निकलकर संरचित निवेश वर्ग में रूपांतरित हो सके।
जैसे-जैसे समापन समारोह आगे बढ़ा, भारतीय स्टॉलों की ओर विदेशी खरीदारों और निवेशकों की कतारें लंबी होती गई। अमेरिकी, यूरोपीय और मध्य-पूर्वी प्रतिनिधियों ने भारत के कारीगरों को सीधे ऑर्डर और साझेदारी प्रस्ताव दिए, जो दर्शाता हैं कि भारत अब केवल कारीगरी नहीं बेच रहा, वह ‘आर्ट बेस्ड इकोनॉमी’ की पहचान बन रहा हैं।
लास वेगस की यह रात न केवल रत्नों की चमक से भरी रही, बल्कि यह भारत की कारीगरी, संस्कृति और निवेश क्षमता का एक वैश्विक उद्घोष भी बन गई। यह इवेंट सिर्फ एक व्यापारिक मेला नहीं था, बल्कि गोल्ड और डायमंड इंडस्ट्री के ग्लैमर, टेक्नोलॉजी और हेरिटेज का मिलाजुला महोत्सव था। भारत इस क्षेत्र में तकनीक, कला और वॉल्यूम-तीनों में अग्रणी बनकर उभरा हैं और इस इवेंट ने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को और सुदृढ़ किया हैं।

अन्य समाचार