मुख्यपृष्ठखबरेंइनसाइड स्टोरी : हीरा कारोबारियों को मुंबई जम गई!

इनसाइड स्टोरी : हीरा कारोबारियों को मुंबई जम गई!

-नहीं लुभा पा रही सूरत डायमंड बोर्स की चकाचौंध

एसपी यादव

लगभग सवा दो महीने पहले धूमधड़ाके के साथ ‘सूरत डायमंड बोर्स’ (एसडीबी) का उद्घाटन किया गया था। अमेरिका के पेंटागन से भी बड़ी कार्यालयीन इमारत के रूप में इसका खूब प्रचार प्रसार किया गया था। ढोल पीटा गया कि इससे डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यह अनुमान भी जताया गया कि सूरत डायमंड बोर्स के चलते गुजरात का हीरा कारोबार दो लाख करोड़ रुपए के आंकड़ों को पार कर जाएगा। लेकिन मौजूदा हालात बता रहे हैं कि सूरत डायमंड बोर्स की चकाचौंध हीरा कारोबारियों को नहीं लुभा पा रही है।
सूरत से मुंबई लौटना पड़ा
सूरत डायमंड बोर्स की स्थापना में ‘किरण जेम्स’ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। नवंबर २०२३ में अपने १७ हजार करोड़ रुपए के वार्षिक कारोबार और अपने ४८ हजार कर्मचारियों के साथ किरण जेम्स ने सबसे पहले सूरत डायमंड बोर्स जाने की घोषणा की। तब सनसनी फैल गई कि मुंबई का हीरा कारोबार अब सूरत चला जाएगा। पर नतीजा विपरीत हुआ। किरण जेम्स को फिर से मुंबई के अपने ११ हजार वर्ग फीट के कार्यालय में लौटना पड़ा है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सूरत डायमंड बोर्स की चकाचौंध उतनी आकर्षक नहीं सिद्ध हो रही है।
सूरत के हीरा बाजार में कार्यालय दर प्रभावित
मिली जानकारी के अनुसार किरण जेम्स की मुंबई वापसी ने सूरत डायमंड बोर्स में जमीन के दामों को प्रभावित किया है। कुछ हीरा व्यापारियों ने सूरत डायमंड बोर्स में चल रहे अपने कार्यालय के इंटीरियर का कामकाज रोक दिया है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि यहां पहले ३० हजार वर्ग फीट की दर से कार्यालय की नीलामी हो रही थी, लेकिन मौजूदा समय में १० हजार वर्ग फीट की दर से भी ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।
सूरत डायमंड बोर्स की लीपापोती जारी
हालांकि अब इस मामले पर लीपापोती जारी है। सूरत डायमंड बोर्स के अधिकारियों ने एक पत्र जारी कर दलील दी है कि उन्होंने खुद ही किरण जेम्स को तब तक के लिए मुंबई चले जाने को कहा जब तक कि सूरत डायमंड बोर्स में और कार्यालय शुरू नहीं हो जाते। उन्होंने कहा है कि किरण जेम्स के बही-खाते में घाटा देखा गया। समग्र कारोबार में ७५ प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिसके चलते यह सलाह दी गई। हालांकि, सूरत डायमंड बोर्स के अधिकारियों की यह दलील लीपापोती ज्यादा नजर आती है, क्योंकि किरण जेम्स के सूरत से मुंबई लौट आने पर अन्य हीरा कारोबारी भी सूरत डायमंड बोर्स में कार्यालय स्थापित करने से हिचकेंगे। सूरत डायमंड बोर्स की प्रबंधन समिति के सदस्य दिनेश नवादिया का कहना है कि फिलहाल ३२ कंपनियां अंशकालिक आधार पर सूरत डायमंड बोर्स में काम कर रही हैं।
मुंबई में हीरा कारोबार ठप करने की साजिश!
हीरा कारोबार को लेकर मुंबई और सूरत के बीच जून २०२३ में तब खींचतान शुरू हुई जब सूरत डायमंड बोर्स ने मुंबई के भारत डायमंड बोर्स के व्यापारियों को मुंबई में अपना कार्यालय बंद कर सूरत आने पर एक साल तक मेंटनेंस प्रâी कार्यालय की पेशकश की। हीरा कारोबारियों को भेजे पत्र में कहा गया था कि जो हीरा व्यापारी अपने मुंबई कार्यालय में पॉलिश किए गए हीरे की बिक्री पूरी तरह बंद कर देंगे और केवल सूरत डायमंड बोर्स से पॉलिश किए गए हीरे की बिक्री शुरू करेंगे, उनके नाम अग्रणी सदस्य के रूप में सूरत डायमंड बोर्स में स्थायी रूप से अंकित किए जाएंगे।
मुंबई में उपलब्ध हैं सारी सुविधाएं
मुंबई हीरा बाजार में कार्यालय मेंटनेंस जहां हर महीने एक रुपए प्रति वर्ग फीट है, वहीं सूरत में मेंटनेंस १० रुपए प्रति वर्ग फीट है। मुंबई हीरा बाजार में १२०० रुपए में हर महीने दो वक्त का जैन भोजन भी उपलब्ध है। मुंबई में एक कॉमन ट्रेडिंग हॉल भी उपलब्ध है, जहां बेहद मामूली दर पर हीरा कारोबारी दुनिया के ३० हीरा बाजारों से आसानी से जुड़ सकते हैं।

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