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इनसाइड स्टोरी : धनकुबेरों ने कहा ‘हमसे ज्यादा टैक्स लो!’ २६० अरबपतियों की अनोखी मांग, सरकारें खामोश क्यों?

एसपी यादव

हाल ही में दावोस में आयोजित हुई ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की बैठक में दुनिया के चौथे सबसे रईस शख्स माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कहा कि दौलतमंदों को ज्यादा टैक्स चुकाना चाहिए। उन्हें हैरत होती है कि अभी तक सुपर रिच लोगों पर टैक्स क्यों नहीं बढ़ा। वलेरी रॉकफेलर, एबीगेल डिजनी और मार्लेन एंगलहॉर्न जैसे लगभग २६० अरबपतियों ने बिल गेट्स की तरह ही दुनियाभर के नेताओं से उनके जैसे अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाने की मांग की है। दरअसल, दुनिया के इन धनकुबेरों को लगता है कि चंद लोगों के पास इकठ्ठा होती जा रही दौलत का निकट भविष्य में समाज पर गंभीर परिणाम होगा। असमानता की खाई और चौड़ी होती जाएगी, इसलिए उन्होंने अमीरों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की मांग की है।
३८ फीसदी दौलत १ प्रतिशत के पास 
वर्ल्ड इनक्वालिटी रिपोर्ट-२०२२ के अनुसार, अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब गरीबी के दलदल में फंसते जा रहे हैं। पिछले २५ वर्षों में यानी १९९५ से २०२१ के बीच दुनिया की ३८ प्रतिशत दौलत केवल १ प्रतिशत लोगों के पास जाकर जमा हो गई है। इसी कालावधि में दुनिया के ४०० करोड़ लोगों के पास केवल २ प्रतिशत पहुंच पाई और बाकी लोगों का हाल और बेहाल है। यह भी देखने में आया है कि कोविड महामारी के बाद से ही अरबपतियों की दौलत तेजी से बढ़ रही है।
भारत सरकार अमीरों पर मेहरबान
भारत की बात करें, तो मोदी सरकार ने २०१६ में संपत्ति कर को खत्म कर दिया और उसकी जगह २ फीसदी का सरचार्ज लगाया। २०१९ में इसे भी खत्म कर दिया गया। दूसरी तरफ विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के नाम पर कॉपोर्रेट टैक्स को ३० प्रतिशत से घटाकर २२ प्रतिशत कर दिया गया। साथ ही प्रत्यक्ष करों की बजाय अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी की गई, जिसका असर गरीबों और मध्यवर्ग पर पड़ा। हालांकि, सरकार भी इसके असर से अछूती नहीं रही। उसका भी वित्तीय घाटा बढ़ा।
अतिरिक्त टैक्स दूर की कौड़ी?
दुनिया की आर्थिक नब्ज टटोलनेवाली ऑक्सफेम या प्रोपब्लिका जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों को देखा जाए, तो साफ होता है कि धनकुबेरों से सरकारों के निजी स्वार्थ जुड़े होते हैं। ऐसे में दुनिया भर की सरकारें इनसे ज्यादा टैक्स लेकर अपने हितों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहतीं। बर्लिन स्थित जर्मन इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च के स्टीफन बाख का कहना है कि ऐसी मांग करने वाले अधिकतर रईस किसी कंपनी को नहीं चलाते, बल्कि उन्हें यह विरासत में मिली है। इसीलिए इस मांग को व्यापार जगत और नेताओं से सहयोग नहीं मिल रहा है।

सरकारों ने साध रखी है चुप्पी
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की दावोस में हुई बैठक में मिलेनियर्स और बिलेनियर्स ने मिलकर ज्यादा दौलत पर अतिरिक्त टैक्स लगाने की मांग की। इस संबंध में एक ओपन लेटर ‘प्राउड टू पे’ लिखा गया। इसमें उन्होंने ग्लोबल लीडर्स को संबोधित करते हुए लिखा कि हम आश्चर्यचकित हैं कि तीन साल से यह मांग की जा रही है फिर भी किसी के पास इस आसान से सवाल का जवाब नहीं है। आप लोग कब अकूत दौलत को अतिरिक्त टैक्स के दायरे में लाएंगे।

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