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हिंदुस्थान-पाकिस्तान के बीच स्वीकार्य नहीं तीसरे देश का दखल!.. शरद पवार का स्पष्ट मत

सामना संवाददाता / मुंबई

हिंदुस्थान-पाकिस्तान विवाद में अमेरिका की मध्यस्थता उचित नहीं है। इन दोनों देशों के बीच किसी और को दखल देने की जरूरत क्या है? हमारे मुद्दे हम खुद सुलझा लेंगे, किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा। इस तरह का स्पष्ट मत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने कल व्यक्त किया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि शिमला समझौते के अनुसार हिंदुस्थान और पाकिस्तान के मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं हो सकता।
हिंदुस्थान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद अमेरिका ने कथित रूप से मध्यस्थता करते हुए संघर्षविराम करवा दिया। इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी। इसे लेकर विपक्ष की ओर से कड़ी आलोचना हो रही है। सवाल उठाया जा रहा है कि युद्ध जैसे हालात में नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसा कदम क्यों उठाया? क्या अमेरिका का दबाव था? अमेरिका का इससे क्या संबंध है? इसी मुद्दे पर जब मीडिया ने शरद पवार से सवाल किया तो उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर हिंदुस्थान-पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते का हवाला देते हुए कहा कि यह समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इस समझौते में दोनों देशों ने यह तय किया था कि आपसी विवादों में किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं होगा। अब पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से संघर्षविराम की घोषणा की है, जो उचित नहीं है।
विशेष सत्र की बजाय होनी चाहिए सर्वदलीय बैठक
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने युद्ध जैसे हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग की है। इस पर भी शरद पवार ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाने में कोई आपत्ति नहीं। लेकिन उसमें कितनी जानकारी दी जाएगी, यह कहा नहीं जा सकता, क्योंकि सुरक्षा से जुड़ी जानकारी गोपनीय रखनी पड़ती है। ऐसे में विशेष सत्र से बेहतर यह होगा कि सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और उसमें रक्षा अधिकारियों से जानकारी ली जाए।

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